What is radioactivity Write the properties of α β and γ particles.
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♦ रेडियो सक्रियता (Radio Activity) ♦
वे तत्व जिसे रेडियो सक्रिय किरणें स्वत: निकलती रहती है रेडियो सक्रिय तत्व कहलाते हैं तथा ऐसी घटना को रेडियो सक्रियता कहा जाता है।
परमाणु संख्या 83 से ऊपर वाले सभी तत्व रेडियो सक्रिय हैं। कुछ हल्के तत्व भी रेडियो सक्रिय है। फ्रांस के वैज्ञानिक हेनरी बेकुरल ने 1896 ईस्वी में रेडियो सक्रियता का आविष्कार किया। प्रयोग से बेकुरल ने यह बताया कि यूरेनियम के सभी लवणों से एक प्रकार की अदृश्य किरणें निकालती है।हेनरी बेकुरल ने यह दिखाया कि यह किरणें –
(i) फोटोग्राफिक प्लेट को प्रभावित करती है।
(ii) गैसों को आयनिक करता है।
(iii) एल्युमिनियम और अभ्रक जैसे ठोस पदार्थ को भेद देती है।
(iv) ऊष्मा तथा प्रकाश से भी प्रभावित नहीं होती है।
1902 में मैडम क्यूरी तथा उनके पति पियरे क्यूरी ने यह सुझाव दिया कि यूरेनियम से किरणों का निकलना एक परमाण्विक घटना है उन्होंने इस घटना का नाम रेडियो सक्रियता रखा।
रेडियो सक्रिय किरणें :- रेडियो सक्रिय पदार्थ से विघटन की प्रक्रिया के फलस्वरुप जो किरणें निकलती है रेडियो सक्रिय किरणें कहलाता है।
रेडियो सक्रिय किरणों की प्रकृति का अध्ययन सर्वप्रथम रदरफोर्ड ने किया। रदरफोर्ड ने इन किरणों को तीन श्रेणियां में विभक्त किया।
→ वह किरणें जो ॠण ध्रुव की ओर विचलित होती है वह धनावेशित होती है इन किरणें को α – किरण कहा गया।
→ वह किरणें जो धन ध्रुव की ओर विचलित होती है वह ॠणावेशित होती है इन किरणें को β – किरण कहा गया।
→ वह किरणें जो चुम्बकीय क्षेत्र या विद्युत क्षेत्र में विचलित नहीं होती है वह उदासीन होता है जिन्हें γ – किरण कहा जाता है ।
α , β , तथा γ – किरणों के गुणों की तुलना
गुण | α – कण | β – कण | γ – कण |
(i) संकेत | α या 2He⁴(++) | β या -1e0 | γ या hν |
(ii) आवेश | 2 unit of positive charge | 1 unit of Negative charge | 0 |
(iii) द्रव्यमान | 4 amu | 9.1 × 10-31 kg | 0 |
(iv) गति | प्रकाश के वेग का 10वां भाग | लगभग सूर्य के प्रकाश के वेग का | सूर्य के प्रकाश के वेग के बराबर |
(v) भेदन क्षमता | न्यूनतम | मध्यम | अधिकतम |
(vi) आयनन क्षमता | अधिकतम | मध्यम | न्यूनतम |
(vii) फोटोग्राफी प्लेट पर प्रभाव | अत्यधिक | α – कण से कम | β – कण से कम |
(viii) जिंक सल्फाइड प्लेट पर प्रभाव | अत्यधिक | α – कण से कम | β – कण से बहुत कम |
रेडियो सक्रियता का कारण :-
नाभिक में मुख्यत: प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन होते हैं। न्यूट्रॉन – प्रोटाॅन में तथा प्रोटॉन – न्यूट्रॉन में अंत: परिवर्तित होते रहते हैं इसी कारण नाभिक में न्यूट्रॉन तथा प्रोटॉन एक दूसरे से बंधे रहते हैं। यह पाया जाता है कि नाभिक का स्थायित्व n/p अनुपात पर निर्भर करता है।
वैसे तत्व जिनके n/p का अनुपात 1 तथा 1.6 के बीच होता है, स्थाई होता है। परमाणु संख्या 84 या इससे अधिक परमाणु संख्या वाले तत्व अस्थाई होते हैं ऐसे तत्व रेडियो सक्रियता प्रदर्शित करता है। परंतु कुछ ऐसे तत्व होते हैं जिनमें प्रोटॉन या न्यूट्रॉन या दोनों की संख्या 2, 8, 20, 50, 82 या 126 होते हैं परंतु n/p का अनुपात 1.6 से अधिक होने पर भी यह स्थाई होते हैं इन संख्याओं को मैजिक संख्या (Magic Number) कहा जाता है।
प्रश्न :- प्रदर्शित करें कि 88Ra226 रेडियोसक्रिय है।
उत्तर ⇒ p = 88 , n = 226 – 88 = 138
n/p = 138/88 = 1.7 अतः यह रेडियोसक्रिय है।
प्रश्न :- 82Pb208 रेडियोसक्रिय नहीं है, क्यों ?
उत्तर ⇒ p = 82, n = 208 – 82 = 126
चूँकि प्रोटॉन की संख्या (82) तथा न्यूट्रॉन की संख्या (126) दोनों जादूई संख्या है। अतः यह रेडियोसक्रिय नहीं है।
Modes of Decay –
अस्थायी नाभिक n/p अनुपात के आधार पर विभिन्न प्रकार से विखंडित होते हैं।
1. यदि n/p का अनुपात स्थायित्व क्षेत्र से अधिक हो
β – उत्सर्जन :- β -उत्सर्जन प्रोटॉन की संख्या में एक की वृद्धि n/p अनुपात को घटाता है।
6C¹⁴ → 7N¹⁴ +-1e⁰
n/p =8/6 n/p =7/7
2. यदि n/p का अनुपात स्थायित्व क्षेत्र से कम हो
α – उत्सर्जन :- α – उत्सर्जन से n/p अनुपात में अल्प वृद्धि होती है
15P³¹ → 13Al²⁷ + 2He⁴
n/p =16/15 n/p =14/13
पाॅजिट्रॉन उत्सर्जन :-
11Na²³ → 10Ne²³ + +1e⁰
n/p =12/11 n/p =13/10
K – Electron Capture :-
11Na²³ + +1e⁰ → 10Ne²³
n/p =12/11 n/p =13/10
α , β तथा γ – किरणों के उत्सर्जन
1. α – कण का उत्सर्जन (Emission of α – Particle) :- रेडियो सक्रिय परमाणु के नाभिक में से एक अल्फा कण के उत्सर्जन से परमाणु संख्या में 2 की कमी तथा द्रव्यमान संख्या में 4 की कमी हो जाती है।
ZXÀ → z-2YA-4 + 2He4 (α)
2. β – कण का उत्सर्जन (Emission of β – Particle) :- एक β – कण के उत्सर्जन से परमाणु संख्या में 1 की वृद्धि तथा द्रव्यमान संख्या में कोई परिवर्तन नहीं होता है।
ZXÀ → z+1YA + -1e⁰ (β)
3. γ – कण का उत्सर्जन (Emission of γ -Particle) :- एक γ- कण के उत्सर्जन से परमाणु संख्या तथा द्रव्यमान संख्या में कोई परिवर्तन नहीं होता है। इसका उत्सर्जन K – Capture के कारण होता है।
नाभिकीय परिवर्तनों में α – तथा β – की कणों की संख्या
ZXÀ → z1YA1 + α . 2He4 + β . -1e⁰
Balanced Atomic number
Z = Z1 + 2α – β …….(i)
Balanced Mass number
A = A1 + 4α + 0…….(ii)
4α = A – A1
α = (A – A1)/4 |
अतः समीकरण (i) से,
β = (Z1 – Z) + (A – A1)/2 |
प्रश्न :- निम्न परिवर्तन में α – तथा β – की कणों की संख्या ज्ञात करें।
(i) 92U238 → 82Pb202
(ii) 92U235 → 82Pb207
(iii) 90Th232 → 82Pb208
रेडियोसक्रिय विखंडन का नियम –
1913 ई० में सॉडी तथा फाउंस ने रेडियोसक्रिय पदार्थों के विखंडन के संदर्भ में निम्नलिखित नियम प्रस्तावित किया—
(i) सभी रेडियोसक्रिय तत्वों के परमाणु स्वतः विखंडित होते हैं तथा इनके नाभिक से α – एवं β – कणों का उत्सर्जन होता है, जिसके फलस्वरूप नये परमाणुओं की उत्पत्ति होती है। यह प्रक्रिया तबतक चलती है जबतक स्थायी नाभिक का निर्माण नहीं होता है।
(ii) सभी ज्ञात रेडियोसक्रिय परिवर्तनों में एक α -कण या एक β -कण निकलता है। ये दोनों कण कभी भी एक साथ नहीं निकलते हैं।
(iii) रेडियोसक्रिय विखंडन की दर अर्थात् प्रति सेकेण्ड विखंडन की संख्या ताप, दाब आदि पर निर्भर नहीं करता है तथा विखंडन की दर उसमें उपस्थित परमाणुओं की संख्या के समानुपाती होती है।
वर्ग-विस्थापन का नियम (Group displacement law) :-
सॉडी तथा फाउंस ने α- तथा β -कणों के उत्सर्जन तथा नये तत्वों के निर्माण सम्बन्धित नियम प्रतिपादित किये, जिसे वर्ग-विस्थापन का नियम कहते हैं। इस नियम के अनुसार –
रेडियो सक्रिय परमाणु में से एक α – कण के उत्सर्जन से नवनिर्मित परमाणु आवर्त सारणी में दो स्थान बायीं ओर तथा उनमें से एक β – कण के उत्सर्जन से नवनिर्मित परमाणु आवर्त सारणी में एक स्थान दाएं और चला जाता है।
याद करने योग्य बिन्दु
1. α – कण के उत्सर्जन से isodiapher बनता है अर्थात् मूल तत्व तथा नये तत्व के न्यूट्रॉनों एवं प्रोटॉनों की संख्या का अंतर समान होता है। अर्थात इनके समस्थानिक संख्या (Isotopic number) समान होता है।
उदाहरण :
88Ra226 → 86Rn222
न्यूट्रॉन की संख्या 138 136
प्रोटॉन की संख्या 88 86
अंतर 50 50
2. β -कण के उत्सर्जन से समभारिक तत्व बनता है अर्थात् मूल तत्व तथा नये तत्व की परमाणु संख्या भिन्न परन्तु द्रव्यमान संख्या समान होती है।
90Th234 → 91Pa234
3. एक α -कण तथा दो β -कण के उत्सर्जन से मूल तत्व का समस्थानिक प्राप्त होता है।
92U238 -α → 90Th 234 -β → 91Pa 234 -β → 92U238
रेडियोसक्रिय विखंडन की दर
रेडियोसक्रिय विखंडन के नियम के अनुसार, किसी रेडियोसक्रिय पदार्थ के विखंडन की दर उसमें उपस्थित परमाणुओं की संख्या के समानुपाती होती है।
मान लिया कि एक रेडियोसक्रिय तत्व A विखंडित होकर प्रतिफल देता है।
A → प्रतिफल
मान लिया कि प्रारंभ में रेडियोसक्रिय तत्व के कुल परमाणुओं की संख्या N0 है। तथा t समय के बाद परमाणुओं की संख्या N है तो परमाणुओं के विखंडन की दर (- dN)/(dt) है।अतः
– (dN)/(dt) ∝ N
– d/dt (N) = λN
जहाँ λ विखंडन स्थिरांक कहलाता है। तथा इसकी इकाई time-1 होती है।
– (dN)/N =λ dt
अवकलन ( Integration) करने पर,
– ∫ dN/N = λ ∫ dt
– InN = λ t + I ………….(i)
जहाँ I अवकलन स्थिरांक है।
प्रारंभ में t = 0, N = N0 तब समीकरण (i) से
-InN0 = λ.0 + I
I = – lnN0
I का मान समीकरण (i) में रखने पर,
– ln(N) = λ t – lnN0
-ln N + ln N0 = λ t
In N0/N = λ t
λ= 1/t (In N0/N)
λ = 1/t • 2.303 (In N0/N) |
अर्द्ध-जीवन काल (Half-life period) :-
“किसी रेडियोसक्रिय पदार्थ की सक्रियता उसकी प्रारंभिक सक्रियता से ठीक आधी हो जाने में लगा समय उस पदार्थ का अर्द्ध- जीवनकाल कहलाता है।”
• इसे t1/2 द्वारा सूचित किया जाता है।
t1/2 = 0.693/λ
• रेडियम का अर्द्ध-जीवन काल 1590 वर्ष है।
• अर्द्ध-जीवन काल रेडियोसक्रिय पदार्थ के प्रारंभिक मात्रा पर निर्भर नहीं करती है।
• अर्द्ध-जीवन काल, विखंडन स्थिरांक के व्युत्क्रमानुपाती होती है।
औसत आयु (Average life)
“विखंडन स्थिरांक के व्युत्क्रम को रेडियोसक्रिय पदार्थों की औसत आयु कहते हैं।”
इसे T से सूचित करते हैं ।
औसत आयु (T) = नाभिकों के जीवन काल का योग /नाभिकों की कुल संख्या
नाभिकीय विखंडन (Nuclear fission)
1939 ईस्वी में जर्मन वैज्ञानिक ओ० ह्मुम तथा स्ट्रासमैन ने पाया कि किसी अस्थाई नाभिक पर मंद वेग वाले इलेक्ट्रॉन को आघात किया जाता है तो यह दो छोटे-छोटे परमाणु संख्या वाले तत्वों में विखंडित हो जाते हैं तथा साथ में दो या तीन न्यूट्रॉन प्राप्त होते हैं। अतः नाभिकीय विखंडन को निम्न प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है।
” किसी भारी नाभिक का छोटे-छोटे अवयवों में टूटना तथा अत्यधिक मात्रा में ऊर्जा उत्सर्जित होना नाभिकीय विखंडन कहलाता है। “
नाभिकीय संलयन (Nuclear fusion) :-
दो हल्के नाभिक परस्पर जोड़कर भारी नाभिक का निर्माण करता है तथा अत्यधिक मात्रा में ऊर्जा उत्सर्जित होने की क्रिया नाभिकीय संलयन कहलाता है।
• सूर्य से ऊर्जा का स्रोत भी नाभिकीय संलयन अभिक्रिया है।
नाभिक विखण्डन एवं नाभिकीय संलयन में अंतर –
नाभिक विखण्डन | नाभिकीय संलयन |
(i) इसमें हल्के नाभिक शामिल होते हैं। | (i) इसमें भारी नाभिक शामिल होते हैं। |
(ii) हल्के नाभिक जुड़कर बड़े नाभिक बनाते हैं। | (ii) भारी नाभिक विखंडित होकर छोटे नाभिक देते हैं। |
(iii) यह अत्यधिक ताप पर होता है | (iii) यह कम ताप पर होता है। |
(iv) इसमें प्रायः प्रोटॉन शामिल होते हैं। | (iv) इसमें प्रायः न्यूट्रॉन शामिल होते हैं। |
(v) यह अधिक प्रभावित होता है। | (v) यह कम प्रभावित होता है। |
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प्रश्न :- निम्नलिखित में कौन मौलिक कण नहीं है ?
(A) न्यूट्रॉन
(B) प्रोटॉन
(C) α-कण
(D) इलेक्ट्रॉन
प्रश्न :- सौर ऊर्जा का स्रोत होता है।
(A) नाभिकीय विखण्डन
(B) रासायनिक अभिक्रिया
(C) मूल कणों का विलोपन
(D) नाभिकीय संलयन
प्रश्न :- नाभिक से α -कण उत्सर्जित होने पर परमाणु संख्या कितना से घटता है ?
(A) 1
(B) 2
(C) 3
(D) 4
प्रश्न :- कैथोड किरणें होती है।
(A) इलेक्ट्रॉन
(C) प्रोटॉन
(B) न्यूट्रॉन
(D) फोटोन
प्रश्न :- निम्नलिखित में कौन आवेशित नहीं है?
(A) फोटॉन
(B) α – कण
(C) β – कण
(D) इलेक्ट्रॉन
प्रश्न :- किसी नमूना का परमाणु क्रमांक Z तथा द्रव्यमान संख्या A है। इसके परमाणु में न्यूट्रॉन्स की संख्या होगी।
(A) A
(B) Z
(C) A + Z
(D) A – Z
प्रश्न :- नाभिकीय अभिक्रिया में संरक्षित भौतिक राशियाँ हैं।
(A) कुल आवेश
(C) कोणीय संवेग
(B) रेखीय संवेग
(D) उपरोक्त सभी
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प्रश्न :- जितने समय में किसी रेडियोएक्टिव पदार्थ की राशि अपने प्रारंभिक परिणाम की आधी हो जाती है उसे कहते है।
(A) औसत आयु
(B) अर्द्ध आयु
(D) आवर्त काल
(C) क्षय नियतांक
प्रश्न :- β – किरणें विक्षेपित होती है।
(A) गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में
(B) केवल चुम्बकीय क्षेत्र में
(C) केवल विद्युतीय क्षेत्र में
(D) चुम्बकीय एवं विद्युतीय क्षेत्र दोनों में
प्रश्न :- निम्नांकित में किसे महत्तम बेधन क्षमता है ?
(A) X -किरणें
(B) कैथोड किरणें
(C) α -किरणें
(D) γ -किरणें
प्रश्न :- 90Th230 के एक परमाणु में न्यूट्रॉनों की संख्या है।
(A) 90
(B) 140
(C) 230
(D) 320
प्रश्न :- अर्द्धआयु काल T1/2 एवं क्षय नियतांक में संबंध होता है।
(A) T1/2 = 0.693/λ
(B) T1/2 = λ/0.693
(C) T1/2 = 0.693λ
(D) T1/2 = 0.693λ2
प्रश्न :- निम्नलिखित में कौन -कण के लिए सही है ?
(A) इलेक्ट्रॉन
(B) विद्युत-चुंबकीय विकिरण
(C) हीलियम नाभिक
(D) हाइड्रोजन नाभिक
प्रश्न :- रेडियो सक्रियता का मात्रक है।
(A) हट्ज
(B) क्यूरी
(C) a.m.u.
(D) जूल
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