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♦ प्रेरण (Inductance) ♦
उस विद्युत परिपथ को जो विद्युत चुम्बकीय प्रेरण की घटना उत्पन्न करने का गुण रखता हो, प्रेरकत्व/ प्रेरण (Inductance) कहते हैं।
प्रेरण दो प्रकार के होते हैं।
(i) स्वप्रेरण (Self-inductance)
(ii) अन्योन्य प्रेरण (Mutual-inductance)
1. स्वप्रेरण (Self-inductance)
विद्युत चुम्बकीय प्रेरण की उस घटना को, जिसमें किसी कुण्डली में प्रवाहित धारा में परिवर्तन के कारण स्वयं उसी कुण्डली में प्रेरित धारा उत्पन्न होती है, स्वप्रेरण कहते हैं।
→ स्व-प्रेरकत्व का S.I मात्रक वेबर फेरे प्रति ऐम्पियर (Wb-turns A-1) है जिसे ‘हेनरी’ (henry) भी कहते हैं।
1 हेनरी = 1 Wb-turn A-1
1 हेनरी :- यदि किसी परिपथ में 1 ऐम्पियर/सेकण्ड की दर से धारा में परिवर्तित होने के कारण उसमें प्रेरित वि. वा. बल 1 वोल्ट हो, तो परिपथ का स्व-प्रेरकत्व 1 हेनरी होता है।
1 हेनरी = 1 वोल्ट/1 ऐम्पियर प्रति सेकण्ड
स्वप्रेरण गुणांक (Coefficient of Self-Induction) :-
माना, किसी कुण्डली में i ऐम्पियर की धारा प्रवाहित हो रही है तथा इस धारा के कारण कुण्डली के प्रत्येक फेरे से सम्बद्ध कुल चुम्बकीय फ्लक्स Φ है। चुम्बकीय फ्लक्स का यह मान कुण्डली में प्रवाहित धारा के अनुक्रमानुपाती होता है।
Φ ∝ i
Φ = Li
यहाँ L एक नियतांक है जिसे कुण्डली का ‘स्व-प्रेरण गुणांक’ (coefficient of self-induction) अथवा ‘स्व-प्रेरकत्व’ (self-inductance) कहते है।
⇒ यदि i = 1 Amp तो Φ = L
अतः किसी कुण्डली का स्वप्रेरण गुणांक संख्यात्मक रूप से कुण्डली मैं से होकर गुजरने वाले उसे चुंबकीय फ्लक्स के बराबर होता है जो कुंडली में एकांत धारा प्रवाहित होने पर उत्पन्न होता है।
2. अन्योन्य प्रेरण (Mutual-inductance)
एक कुण्डली में धारा-परिवर्तन के कारण दूसरी कुण्डली में प्रेरित वि वा. बल उत्पन्न होने की घटना को अन्योन्य प्रेरण कहते हैं।
पहली कुण्डली को जिसमें धारा के मान में परिवर्तन किया जाता है, ‘प्राथमिक कुण्डली’ (primary coil) तथा दूसरी कुण्डली को जिसमें प्रेरित वि. वा. बल उत्पन्न होता है, ‘द्वितीयक कुण्डली’ (secondary coil) कहते हैं।
प्राथमिक कुंडली में धारा प्रवाहित की जाती है तो इससे संबद्ध द्वितीय कुंडली में चुंबकीय फ्लक्स Φ में परिवर्तन प्राथमिक कुंडली में प्रवाहित धारा के समानुपाती होता है।
i.e
Φ ∝ i
Φ = M i
जहां M एक नियतांक है, जिसे अन्योन्य प्रेरण-गुणांक’ (coefficient of mutual induction) अथवा ‘अन्योन्य प्रेरकत्व’ (mutual inductance) कहते हैं।
अन्योन्य प्रेरण-गुणांक’ (coefficient of mutual induction) :-
अन्योन्य प्रेरण-गुणांक आंकिक रूप से द्वितीय कुंडली से संबंध चुंबकीय फ्लक्स के बराबर होता है जो प्राथमिक कुंडली में एकांक विद्युत धारा प्रवाहित होने के कारण उत्पन्न होती है।
i.e
If i = 1 Amp
Φ = M
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भवर धारा (Eddy Current)
1875 ई० में फोको ने देखा कि जब किसी धातु का टुकड़ा किसी परिवर्तित चुंबकीय क्षेत्र में रखा जाता है या किसी चुंबकीय क्षेत्र में इस प्रकार गति करता है कि उससे संबंध चुंबकीय फ्लक्स में लगातार परिवर्तन हो तो धातु के संपूर्ण आयतन में प्रेरित धाराएं उत्पन्न होता है। यह धाराएं धातु के टुकड़े की गति का विरोध करता है इन धाराओं को भंवर धारा कहते हैं। फोको के नाम पर इन्हें फोको धारा भी कहा जाता है।
भवर धारा की विधि :-
भवर धाराओं के कारण जो उसमें ऊर्जा उत्पन्न होती है यह विद्युत ऊर्जा का है परिवर्तित रूप है।
भवर धारा के काम करने का उपाय :-
(i) धातु में स्टॉल बनाकर
(ii) धातु में परतदार क्रोड बनाकर
भवर धाराओं के उपयोग :-
(i) प्रेरणा भट्टी में
(ii) चुंबकीय ब्रेक में
(iii) प्रेरण मोटर में
(iv) Induction कुकर में
प्रश्न :- स्वप्रेरकत्व का SI मात्रक है।
(A) वेबर
(B) ओम
(C) हेनरी
(D) गॉस
प्रश्न :- एक हेनरी बराबर होता है।
(A) 103 mH
(B) 10 6 mH
(C) 10 -3 mH
(D) 10 -6 mH
प्रश्न :- जब एक चुंबकीय क्षेत्र में धातु का गोला गतिमान कराया जाता है, तब यह गर्म हो जाता है, क्योंकि
(A) प्रत्यावर्ती धारा उत्पन्न होती है।
(B) दिष्ट धारा उत्पन्न होती है।
(C) भँवर-धारा उत्पन्न होती है।
(D) अतिरिक्त धारा उत्पन्न होती है।
प्रश्न :- हेनरी मात्रक है।
(A) स्वप्रेरकत्व का
(B) अन्योन्य प्रेरकत्व का
(C) स्वप्रेरकत्व एवं अन्योन्य प्रेरकत्व दोनों का
(D) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न :- धातु के बने किसी गोलक को चुंबकीय क्षेत्र में दोलन कराने पर उसकी दोलनी गति होती है।
(A) त्वरित
(B) अवमंदित
(C) एकसमान
(D) इनमें कोई नहीं
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