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♦ संचार प्रणाली में वायुमंडल की भूमिका (Role of Atmosphere In The Communication System) ♦
पृथ्वी का वायुमंडल संचार प्रणाली को प्रभावित करती है। पृथ्वी के वायुमंडल की विभिन्न परतें निम्नलिखित होती हैं।
1. क्षोभमंडल (Troposphere) :- क्षोभमंडल पृथ्वी के तल से लगभग 10km की ऊँचाई तक होता है । इस क्षेत्र में तापमान ऊँचाई बढ़ने के साथ घटता जाता है एवं ताप घटने की यह प्रक्रिया 290K – 220K तक होता है। इस प्रकार इस क्षेत्र में संचरित होने वाली वैद्युत चुंबकीय तरंगें जिनकी आवृत्ति परास VHF – UHF होती है वैसी तरंगें मुख्य रूप से प्रभावित होती हैं।
2. समताप मंडल (Stratosphere) :- समताप मंडल, क्षोभमंडल के ठीक ऊपर स्थित होता है तथा यह पृथ्वी के तल से लगभग 50 km की ऊँचाई तक फैला होता है। इस क्षेत्र का ऊपरी तल ओजोन स्तर (Ozone Layer) कहलाता है। समताप मंडल में स्थित ओजोन स्तर सूर्य से उत्सर्जित पराबैंगनी किरणों (Ultravoilet Rays) का लगभग संपूर्ण भाग इस क्षेत्र द्वारा अवशोषित हो जाता है। समताप मंडल का तापमान 220K-200K तक बदलता है। अत्यल्प ताप परिवर्तन के कारण वायुमंडल के इस क्षेत्र से संचरित होने वाली वैद्युत चुंबकीय तरंगें नहीं प्रभावित होती हैं।
3. मध्य मंडल (Mesosphere) :- मध्य मंडल ओजोन परत के ऊपर स्थित होता है एवं पृथ्वी तल से इसकी ऊँचाई लगभग 175 km होती है। वायुमंडल के इस क्षेत्र का तापमान लगभग 180 K तक गिरता है। इस क्षेत्र से संचरित होने वाली वैसी वैद्युत चुंबकीय तरंगें जिनकी आवृत्ति परास HF होती है, वैसी तरंगें इस क्षेत्र द्वारा अवशोषित हो जाती हैं तथा शेष तरंगें इस क्षेत्र से सुगमतापूर्वक संचरित होती हैं।
4. आयन मंडल (lonosphere) :- पृथ्वी के वायुमंडल का वह क्षेत्र, जहाँ सूर्य के तीव्र विकिरणों के कारण गैसों का आयनीकरण हो जाता है, आयन मंडल कहलाता है। आयन मंडल पृथ्वी तल से लगभग 50 km ऊँचाई से 350 km की ऊँचाई तक फैला क्षेत्र है।
आयन मंडल रेडियो संचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह प्रेषित रेडियो तरंगों को पृथ्वी तल पर परिवर्तित करता है। इस प्रकार आयन मंडल रेडियो तरंगों को विशेषकर रात्रि के समय पृथ्वी के वक्र के अनुदिश प्रेषण में सहायक होता है। रात्रि के समय सूर्य के विकिरणों के अभाव में आयनीकरण की प्रक्रिया धीमी होने के कारण आयन मंडल की ऊँचाई घट जाती है। जिसके कारण ही रात में दूरस्थ स्टेशनों को भी रेडियो पकड़ लेता है।
विद्युत चुंबकीय तरंगों के संचरण की विधियाॅं :-
→ विद्युत चुंबकीय तरंगों के संचरण की विधियाॅं निम्न प्रकार की है।
(i) भू तरंग संचरण
(ii) व्योम तरंग संचरण
(iii) आकाश तरंग संचरण
(i) भू तरंग संचरण :- इसमें तरंगे पृथ्वी के संपर्क में गति करती है जिससे पृथ्वी विकिरण ऊर्जा का अवशोषण करती है। अवशोषण की मात्रा आवृत्ति पर निर्भर करती है। अतः इस विधि द्वारा कम आवृत्ति की तरंगों (1MHz) को कम दूरी तक भेजा जा सकता है।
(ii) व्योम तरंग संचरण :- इस विधि में आयन मंडल का उपयोग किया जाता है। आयन मंडल में ऊंचाई बढ़ने पर अपवर्तनांक के मान में कमी आती है। जिन तरंगों का संचरण करवाना होता है उन्हें प्रेसी ऐंटीना से आयन मंडल में ऊंचाई बढ़ने पर अपवर्तन के कारण यह अभिलंब से दूर हटती है। एक निश्चित ऊंचाई पर इसका पूर्ण आंतरिक परावर्तन होता है जिससे कि अभिग्रही एंटीना की ओर लौट आती है। इस विधि द्वारा 30 MHz से 40 MHz आवृत्ति वाली तरंगों का संचरण हो सकता है। यदि आवृत्ति 40 MHz से अधिक होती है तो ये तरंगे आयन मंडल को भेद कर बाहर निकल जाती है।
(iii) आकाश तरंग संचरण :- इस विधि में तरंगे प्रेषी ऐंटीना से अब अभिग्रही ऐंटीना की ओर सीधी रेखा में गति करती है। परंतु पृथ्वी की वक्रता के कारण इन्हें बहुत अधिक दूरी तक नहीं भेजा जा सकता है। इस विधि द्वारा 100 MHz से 200 MHz आवृत्ति का संचरण किया जा सकता है।
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प्रेसी एंटीना की ऊंचाई के लिए व्यंजक
माना कि पृथ्वी की सतह पर AB एक ऐंटीना है, जिसकी ऊँचाई h है। पृथ्वी की त्रिज्या R तथा इसका केन्द्र 0 है। ऐटिना से प्रेषित संकेत पृथ्वी के सतह पर AD = AC त्रिज्या के वृत्तखंड के अन्दर प्राप्त होगा। यह क्षेत्र पृथ्वी के वक्रता के कारण सीमित होगी। पुनः माना कि पृथ्वी की त्रिज्या = R और AD = AC = d
अब ∆ ADO में,
(OA)² = (OD)² + (AD)²
(R + h)² = R² + d²
R² +h² +2Rh = R² + d²
d² = 2Rh + h²
चूंकि R >> h²
अतः 2Rh की तुलना में h² को छोड़ने पर,
d² = 2Rh
d = √(2Rh)
h = (d²)/(2R)
समी. की मदद से ऐंटिना की ऊँचाई ज्ञात किया जाता है।
संचार के विभिन्न प्रकार (Various Types of Communications) :-
1. टेलीग्राफी (Telegraphy) :- इस प्रकार के संचार निकाय में संदेशों/सूचनाओं को कूट (Code) के रूप में एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजा जाता है।
2. रेडियो प्रसारण (Radio Broadcasting) :- इस प्रकार के संचार निकाय में ध्वनि के रूप में उपस्थित संदेशों / सूचनाओं को वैद्युतीय संकेतों में रूपांतरित किया जाता है एवं इन संकेतों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित किया जाता है।
3. टेलीविजन प्रसारण (Television Broadcasting) :- इस प्रकार के संचार निकाय में ध्वनि एवं दृश्यों के रूप में उपस्थित संदेशों / सूचनाओं को वैद्युतीय संकेतों में रूपांतरित कर एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजा जाता है।
4. दूरसंचार (Telephony) :- इस प्रकार के संचार निकाय में टेलीफोन द्वारा वार्तालाप किया जाता है।
5. रडार (Radar) :- इस प्रकार के संचार व्यवस्था में सूक्ष्म तरंग तकनीक का उपयोग किया जाता है एवं दुश्मन के विमानों का पता लगाया जाता है।
6. सोनार (Sonar) :- इस प्रकार के संचार व्यवस्था में ध्वनि तरंगों का सीधा उपयोग किया जाता है तथा नौचालन (Navigation) एवं परासन (Ranging) में इसका मुख्य उपयोग होता है।
7. फैक्स (Fax) :- फैक्स का पूरा नाम फैक्सीमाइल टेलीग्राफी (Facsimile Telegraphy) है एवं इस प्रकार के संचार निकाय का उपयोग किसी महत्वपूर्ण दस्तावेज की वैद्युतीय कॉपी को दूरस्थ स्थानों पर भेजने में किया जाता है।
8. www :- यह वर्ल्ड वाइड वेब का छोटा रूप है। ऐसे कम्प्यूटर जो दूसरे से बाँटने के लिए अपने भीतर कुछ विशिष्ट सूचना संग्रहित करते हैं या स्वयं ही अथवा वेब सेवा प्रदान करने वालों के द्वारा कोई वेबसाइट प्रदान करते हैं ।
9. ई मेल (E-Mail) :- वर्तमान समय में कम्प्यूटर इंटरनेट सेवा के अन्तर्गत वैधुतीय शब्दों/दृश्यों के रूप में प्रेषित करने की प्रक्रिया ही ई-मेल कहलाती है।
10. टेलीप्रिंटिंग (Teleprinting) :- यह संचार व्यवस्था टेलीग्राफी का ही नवीनतम रूप है जिसमें संदेशों/सूचनाओं को दूरस्थ स्थानों पर प्रेषित किया जाता है।
11. चैट (Chat) :- समान रूचि के व्यक्तियों द्वारा टाइप किए हुए संदेशों द्वारा बातचीत को चैट (Chat) करना कहते हैं ।
12. टेलीमीटरिंग (Telemetering) :- इस प्रकार के संचार व्यवस्था में किसी वैद्युतीय माध्यम द्वारा मीटर पाठ्यांकों (Meter Indicators) को दूरस्थ स्थानों पर भेजा जाता है।
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प्रश्न :- आकाश तरंग का संचार आधारित है।
(A) आयनमंडल द्वारा परावर्तन पर
(B) आयनमंडल द्वारा अवशोषण पर
(C) आयनमंडल में से संचरण पर
(D) इनमें कोई नहीं
प्रश्न :- व्योम तरंगों के उपयोग द्वारा क्षितिज के पार संचार के लिए निम्नलिखित आवृत्तियों में कौन-सी आवृत्ति उपयुक्त रहेगी ?
(A) 10 kHz
(B) 10MHz
(C) 1 GHz
(D) 1000 GHz
प्रश्न :- UHF परिसर (UHF Range) की आवृत्तियों का प्रसारण प्रायः किसके द्वारा संभव हो पाता है ?
(a) भू-तरंगें
(b) व्योम तरंगें
(c) पृष्ठीय तरंगें
(d) आकाश तरंगें
प्रश्न :- पृथ्वी के किसी स्थान पर एक TV प्रेषण टावर की ऊँचाई 245 m है। कितनी अधिकतम दूरी तक टावर का प्रसारण पहुँचेगा ?
(a) 245m
(b) 245 km
(c) 56km
(d) 112 km
प्रश्न :- फैक्स का अर्थ है-
(a) कुल एक्सेस ट्रान्समिशन
(b) फैक्सीमाइल टेलीग्राफी
(c) फैक्टयूयल ऑटो एक्सेस
(d) फीड ऑटो एक्सेस
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प्रश्न :- भू-तरंग द्वारा लघु तरंगों को दूरस्थ स्थानों तक संचारित कर पाना संभव नहीं होता क्योंकि-
(a) तरंग की आवृत्ति बढ़ने पर तरंगें वायु द्वारा कम अवशोषित होती हैं।
(b) लघु तरंगों की चाल अधिक होती है ।
(c) आवृत्ति अधिक होने पर पृथ्वी सतह से सटी वायु द्वारा तरंगों का अवशोषण बढ़ जाता है।
(d) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न :- उपग्रह संचार में विद्युत-चुंबकीय तरंग का कौन-सा भाग प्रयुक्त होता है ?
(A) प्रकाश तरंगें
(B) रेडियो तरंगें
(C) गामा किरणें
(D) सूक्ष्म तरंगें
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प्रश्न :- ऑप्टिकल फाइबर द्वारा ऑप्टिकल सिग्नल की संचरण-प्रक्रिया संपन्न होती है।
(A) क्रोड-क्लैडिंग के अंतरापृष्ठ द्वारा बार-बार अपवर्तन से
(B) आपतित एवं परावर्तित तरंगों के बीच व्यतिकरण से
(C) ऑप्टिकल सिग्नल के विवर्तन से
(D) क्रोड-क्लैडिंग अंतरापृष्ठ पर बार-बार पूर्णांतरिक परावर्तन से
प्रश्न :- निम्नलिखित में सह अंकीय संचार का उदाहरण कौन नहीं है ?
(A) ई-मेल
(B) सेलुलर फोन
(C) टेलीविजन
(D) संचार उपग्रह
प्रश्न :- आयनमंडल का व्यवहार रेडियो तरंगों हेतु होते हैं।
(A) विरल माध्यम
(B) सघन माध्यम
(C) मुक्त आकाश
(D) परावैद्युत माध्यम
प्रश्न :- UHF परिसीमा की आवृत्तियाँ सामान्य संचारित होती हैं।
(A) भू-तरंगों द्वारा
(C) पृष्ठ तरंगों द्वारा
(B) आकाशीय तरंगों द्वारा
(D) अंतरिक्ष तरंगों द्वारा
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