विद्युत धारा के उष्मीय प्रभाव तथा इसके उपयोग | Heating Effect of Electric Current |
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♦ विद्युत धारा के उष्मीय प्रभाव (Heating Effect of Electric Current) ♦
जब किसी चालक से विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तब वह चालक गर्म हो जाता है, अर्थात् विद्युत उर्जा का उष्मा में रूपान्तर होता है। इसे ही विद्युत धारा का उष्मीय प्रभाव कहा जाता है।
• यदि R प्रतिरोध के चालक के t समय में i धारा प्रवाहित होती है तो चालक में उत्पन ऊष्मा का परिमाण
H = i²Rt
विद्युत धारा के उष्मीय प्रभाव संबंधित जूल का नियम :-
पहला नियम :— किसी नियत प्रतिरोध के चालक से नियत समय में प्रवाहित विद्युत धारा के कारण उत्पन्न ऊष्मा का परिमाण धारा के वर्ग का समानुपाती होता है ।
अर्थात,
H ∝ i² (जब R एवं t नियत हों )
दूसरा नियम :— यदि किसी चालक से प्रवाहित विद्युत धारा का मान नियत हो तो नियत समय में उत्पन्न का परिमाण उस चालक के प्रतिरोध के समानुपाती होता है।
अर्थात,
H ∝ R ( यदि i तथा t एवं नियत हों )
तीसरा नियम :— यदि किसी चालक का प्रतिरोध तथा उससे प्रवाहित विद्युत-धारा के मान नियत रखे जाएँ तो उसमें उत्पन्न ऊष्मा का परिमाण समय के समानुपाती होता है।
अर्थात,
H ∝ t ( यदि i तथा R एवं नियत हों )
Heating Effect of Electric Current
विद्युत धारा के ऊष्मीय प्रभाव के उपयोग (Use of the Heating Effect of Electric Current) :-
(i) विद्युत फ्यूज (Electric Fuse) :- विद्युत फ्यूज सुरक्षा की एक युक्ति है, जिसका प्रयोग परिपथ में लगे उपकरणों की सुरक्षा के लिए किया जाता है। यह ताँबा, टिन और सीसा के मिश्रधातुओं से बना होता है। इसकी प्रतिरोधकता उच्च एवं गलनांक निम्न होता है। फ्यूज तार की मोटाई और लम्बाई परिपथ में प्रवाहित धारा की मात्रा पर निर्भर करती है। जब कभी परिपथ में अतिभारण (Over Loading) या लघुपथन (Short Circuiting) के कारण बहुत अधिक धारा प्रवाहित हो जाती है, तब फ्यूज का तार गरम होकर गल जाता है जिसके कारण परिपथ टूट जाता है और उसमें लगे उपकरण जैसे – टी० बी०, पंखा, बल्ब आदि जलने से बच जाते है।
(ii) विद्युत बल्ब (Electric Bulb) :- विद्युत बल्ब का आविष्कार टॉमस एल्वा एडीसन ने किया था। इसमें टंगस्टन के पतले तार की एक छोटी ऐंठी हुई कुंडली होती है, जिसे तंतु या फिलामेंट कहते है। बल्ब के अन्दर निम्न दाब पर नाइट्रोजन और ऑर्गन जैसे निष्क्रीय गैसों का प्रायः मिश्रण. भरा रहता है।
टंगस्टन का फिलामेंट इसलिए बनाया जाता है कि इसका गलनांक अत्यधिक उच्च (लगभग 3500°C) तथा प्रतिरोधकता बहुत कम होती है। बल्ब के अंदर अक्रिय गैस इसलिए भरी जाती है क्योंकि निर्वात में उच्च ताप पर टंगस्टन धातु वाष्पीकृत हो जाता है तथा वाष्पीकृत होकर बल्ब की दीवारों पर चिपक जाता है और बल्ब काला पड़ जाता है। इसे ब्लैकिंग कहते है। साधारण बल्ब में दी गई विद्युत उर्जा का केवल 5 से 10% भाग ही प्रकाश उर्जा में परिवर्तित होता है।
(iii) विद्युत हीटर (Electric Heater) :- इसमें मिश्रधातु नाइक्रोम [ निकल (62%), क्रोमियम (15%) तथा लोहा (23%) ] का सर्पिलाकार तार लगा होता है। जब तार के दोनों सिरों को विद्युत सप्लाई मेन्स से जोड़ते हैं तो वह अत्यधिक प्रतिरोध होने के कारण लाल तप्त होकर चमकने लगता है और अत्यधिक उष्मा देता है। उस समय तार का ताप 800°C से 1000°C तक होता है। हीटर की तार की प्रतिरोधकता उच्च होनी चाहिए तथा उसका उच्च ताप तक ऑक्सीकरण नहीं होना चाहिए।
(iv) विद्युत प्रेस (Electric Iron) :- इसमें भी नाइक्रोम का तार अभ्रक (mica) की प्लेट पर लिप्टा रहता है। इस प्लेट को किसी लोहे या टेफ्लॉन के ऊपर रखकर किसी लोहे या इस्पात के उचित आकर के आवरण के अंदर रखा जाता है। जब इसमें धारा प्रवाहित होती है, तो यह उष्मा प्रदान करने लगती है। इससे अवरक्त किरणें निकलती है।
(v) ट्यूब लाईट (Tube Light) :- ट्यूब लाईट में काँच की एक ट्यूब होती है, जिसके अंदर की दीवारों पर प्रतिदीप्तिशील पदार्थ (फॉस्फर) का लेप चढ़ा रहता है। ट्यूब के अंदर अक्रिय गैस जैसे – आर्गन को कुछ पारे के साथ भरा जाता है। ट्यूब के अंदर दोनों किनारों पर बेरियम ऑक्साइड की तह चढ़े हुए दो तन्तु लगे होते है। चूँकि ट्यूब में उष्मीय उर्जा कम उत्पन्न होती है, अतः लगभग 60 से 70% विद्युत उर्जा प्रकाश उर्जा में बदल जाती है।
प्रश्न :- बिजली के बल्बों के भीतर निष्क्रिय गैस क्यों भरी जाती है ?
उत्तर ⇒ टंगस्टन के वाष्पन को रोकने के लिए बल्ब के भीतर निष्क्रिय गैस भरी जाती है। जैसे ही बल्ब की दीप्ति बढ़ाने के लिए धारा की मात्रा बढ़ाई जाती है तो टंगस्टन वाष्पित होकर बल्ब की दीवारों पर जमने लगता है।
प्रश्न :- घरेलू परिपथ में फ्यूज का उपयोग क्यों किया जाता है ?
उत्तर ⇒ घरेलू परिपथ में फ्यूज का उपयोग घरेलू उपकरणों जैसे पंखा, टीवी, फ्रीज, बल्ब को नष्ट होने से बचाने में किया जाता है।
विद्युत धारा को ले जाने के लिए मकानों में जो परिपथ होते हैं उनकी श्रेणी में चीनी मिट्टी की प्लेटों से ढंके जो उपकरण होते हैं उन्हें फ्यूज कहा जाता है। प्लेट के नीचे सीसे के तार (सीसा और टिन) होते हैं। सीसे का गलनांक काफी कम होता है। अतः जब परिपथ में एकाएक धारा की प्रबलता बढ़ जाती है तो उत्पन्न ऊष्मा द्वारा फ्यूज का तार बहुत ही जल्दी गल जाता है और परिपथ भंग हो जाता है।
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