प्रत्यावर्ती धारा का मध्य मान एवं वर्ग-माध्य-मूल मान को परिभाषित करें | Define the mean value and root mean square value of alternating current.
Class 12th Physics

प्रत्यावर्ती धारा का मध्य मान एवं वर्ग-माध्य-मूल मान को परिभाषित करें | Define the mean value and root mean square value of alternating current.

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Define the mean value and root mean square value of alternating current.

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♦ प्रत्यावर्ती धारा (Alternative Current) ♦

वैसी धारा जिसका परिमाण एवं दिशा दोनों समय के साथ निरंतर आवर्ती रूप से परिवर्तित होते रहते हैं, प्रत्यावर्ती धारा कहलाता है।

प्रत्यावर्ती धारा का निगमन :-

माना एक कुंडली जो एक समान चुंबकीय क्षेत्र B में कोणीय वेग ω से घूम रही है, t समय पश्चात θ कोण से घूम जाती है।

कोणीय वेग = कोणीय विस्थापन / समय अंतराल
ω = θ/t
θ = ω.t
अब,
   चुंबकीय फ्लक्स
ΦB = BACosθ
       = BACosωt

फैराडे के द्वितीय नियम से,
     E = – dΦ/dt
     = – d(BACosωt)/dt
     = – BA(- ωSinωt)
     = BAω Sinω.t ………….(i)
धारा का अधिकतम मान = +1
 Sinω.t = 1
 Eo = BAω
अतः समीकरण (i) से,
     E = Eo Sinωt
ओम के नियम से,
      i = E/R
      = (Eo Sinωt)/R

    i = ioSinωt
    V = VoSinωt

ग्राफीय निरुपण

Define the mean value and root mean square value of alternating current.

प्रत्यावर्ती धारा से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण पद :-

1. शिखर मान (Peak Value) :- प्रत्यावर्ती धारा के महतम मान को शिखर मान कहा जाता है।
यह सरल आवर्ती गति के आयाम के समान होता है।

2. आवर्तकाल (Time period) :- प्रत्यावर्ती धारा को एक पूर्ण चक्कर पूरा करने में जितने समय लगता है, आवर्तकाल कहलाता है।
    T = (2π)/ω

3. आवृति (Frequency) :- जब प्रत्यावर्ती धारा 1 Sec में जितने चक्कर पूर्ण कर लेती है आवृत्ति कहलाता है।
• इसे ν से सूचित करते है।
• यह आवर्तकाल के व्युक्तक्रम के रूप में व्यक्त किया जाता है।
• इसका मात्रक Hz (चक्र / सेकेण्ड ) होता है।
     ν = 1/T = ω/(2π)

→ प्रत्यावर्ती धारा की आवृति 50 Hz होती है।
     आवृति = 50 चक्र / सेकेण्ड
 अर्थात 50 उपर तथा 50 नीचे की ओर
( 1 चक्र में दो बार अधिकतम तथा दो बार न्यूनतम)
∴ 100 बार अधिकतम और 100 बार न्यूनतम)

प्रत्यावर्ती धारा का औसत मान :-

जब धारा प्रथम अर्द्ध चक्र में एक दिशा में तथा दूसरे अर्द्ध चक्र में विपरीत दिशा में होती है तो एक पूर्ण चक्कर में औसत धारा का औसत मान कहलाता है।
                                 या
प्रत्यावर्ती धारा को पूर्ण आवर्तकाल में उत्पन्न प्रत्यावर्ती धारा के मान के औसत को प्रत्यावर्ती धारा का औसत मान कहते हैं।
• एक पूर्ण चक्कर में प्रत्यावर्ती धारा का औसत मान शून्य होता है।
• एक आधे चक्कर में प्रत्यावर्ती धारा का औसत मान 2Io/π होता है।

प्रत्यावर्ती धारा का वर्ग माध्य मूल मान :-

प्रत्यावर्ती धारा का वर्ग माध्य मूल मान उस स्थिर धारा के बराबर होता है जो किसी चालक में किसी निश्चित समय अंतराल में उतनी ऊष्मा उत्पन्न करती है जितनी की उसी चालक में आवर्तकाल (T) के दौरान उत्पन्न होती है।
                                     या
एक पूर्ण चक्कर में धारा के वर्ग के माध्य के वर्गमूल को प्रत्यावर्ती धारा का वर्ग माध्य मूल कहते हैं।

  • इसे Irms द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।

⇒ प्रत्यावर्ती धारा का वर्ग-माध्य-मूल
     Irms = I0√2
⇒ प्रत्यावर्ती वोल्टता का वर्ग-माध्य-मूल
      Erms = E0 ⁄√2

अतः, आभासी धारा या वर्ग-माध्य-मूल धारा = शिखर धारा /√2

A.C परिपथ से संबंधित परिभाषाएं

प्रतिरोध (Resistance) :- जब चालक तार प्रत्यावर्ती धारा के मार्ग में रुकावट उत्पन्न करें तो उसे प्रतिरोध कहते हैं। इसे R सूचित करते हैं।

प्रतिघात (Reactance) :- जब संघारित्र (Capacitor) या प्रेरक (Inductor) कुंडली धारा के मार्ग में रुकावट उत्पन्न करें तो उसे प्रतिघात कहते हैं।
इसे X द्वारा सूचित किया जाता है।
→ संघारित्र के लिए प्रतिघात, XC= 1/(ωC)
→ प्रेरक के लिए प्रतिघात, XL = ωL

प्रतिबाधा (Impedance) :- जब प्रतिरोध संधारित्र और प्रेरक कुंडली में से कोई दो या तीनों मिलकर धारा के मार्ग में रुकावट उत्पन्न करते हैं प्रतिबाधा कहलाता है।
इसे Z द्वारा सूचित किया जाता है।

चाॅक कुंडली (Choke Coil) :-

किसी प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में ऊर्जा के अधिक हानि के बिना ही परिपथ से धारा को नियंत्रित करने के लिए प्रयुक्त कुंडली चौक कुंडली कहलाता है।
चाॅक कुंडली में नर्म लोहे की परतदार रोड पर अत्यधिक संख्या में कॉपर तथा एल्यूमिनियम की तार लपती हुई रहती है।
आदर्श चाॅक कुंडली का प्रतिरोध शून्य माना जाता है जिसके कारण विद्युत ऊर्जा की हानि नहीं होती है।
चाॅक कुंडली का उपयोग केवल प्रत्यावर्ती धारा A.C में ही होता है, D.C में इसका उपयोग नहीं होता है।
चाॅक कुंडली का कार्य करने का सिद्धांत वाटहीन धारा के सिद्धांत पर आधारित है।

कार्यहीन धारा (Wattless Current) :-
प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में प्रवाहित धारा का वह घटक जिसके कारण परिपथ में व्यय शक्ति शून्य होती है कार्यहीन धारा कहलाता है।

कार्यधारी धारा (Wattfull Current) :-
परिपथ में प्रवाहित धारा का वह घटक जिसके कारण परिपथ में शक्ति ब्याज होती है कार्यधारी धारा कहलाता है।

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प्रश्न :- धारितीय प्रतिघात होता है।

(A) ω/c

(B) ωc

(C) c/ω

(D) 1/(ωc)

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(D) 1/(ωc)


प्रश्न :- प्रत्यावर्ती धारा का rms मान (Irms ) और प्रत्यावर्ती धारा का शिखर मान (I0) के बीच संबंध होता है।

(A) Irms = 0.505 I0

(B) Irms = 0.606 I0

(C) Irms  = 0.707 I0

(D) Irms = 0.808 I0

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(C) Irms = 0.707 I0


प्रश्न :- कोणीय आवृत्ति ω वाले प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में L प्रेरकत्व वाले प्रेरक द्वारा उत्पन्न प्रेरणिक प्रतिघात का मान होता है।

(A) ω / L

(B) ω.L

(C) 1/(ω.L)

(D) L/ω

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(B) ω.L


प्रश्न :- प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में यदि धारा । एवं वोल्टेज के बीच कलांतर Φ हो , तो धारा का वाटहीन घटक होगा-

(A) I cosφ

(B) I tanφ

(C) I sinφ

(D) I cos²φ

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(C) I sinφ


प्रश्न :- प्रत्यावर्ती धारा के वर्गमूल माध्य मान और शिखर मान का अनुपात है।

(A) √2

(B) 1/(√2)

(C) 1/2

(D) 2√2

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(B) 1/(√2)


प्रश्न :- प्रतिघात का मात्रक है।

(A) म्हो

(B) ओम

(C) फैराडे

(D) एम्पियर

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(B) ओम


प्रश्न :- यदि प्रत्यावर्ती धारा तथा विद्युत वाहक बल के बीच Φ कोण का कलांतर हो, तो शक्ति गुणांक का मान होता है।

(A) tanΦ

(B) cos²Φ

(C) sinΦ

(D) cosΦ

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(D) cosΦ


प्रश्न :- प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में यथार्थ माध्य शक्ति का व्यंजक होता है।

(A) Pav = Frms CosΦ

(B) Pav = Irms CosΦ

(C) Pav = Erms Irms SinΦ

(D) Pav = Erms Irms CosΦ

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(D) Pav = Erms Irms CosΦ


प्रश्न :- दिष्ट धारा के लिए प्रेरणिक प्रतिघात होता है।

(A) शून्य

(B) अनन्त

(C) ωL

(D) 1/(ωL)

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(A) शून्य


प्रश्न :- केवल धारिता युक्त प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में धारा एवं वोल्टता के बीच कलान्तर होता है।

(A) 0°

(B) 90°

(C) 180°

(D) 45°

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(B) 90°


प्रश्न :- किसी L-C-R परिपथ में अनुनाद की स्थिति में आरोपित वोल्टेज तथा धारा के बीच कलान्तर होता है।

(A) π

(B) π/2

(C) π/4

(D) शून्य

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(D) शून्य


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