Class 12th Physics Electrical Capacitance & Capacitor || विद्युत धारिता & संधारित्र तथा इसके सिद्धांत
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Class 12th Physics Electrical Capacitance & Capacitor || विद्युत धारिता & संधारित्र तथा इसके सिद्धांत

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Class 12th Physics Electrical Capacitance & Capacitor ,

♦ विद्युत धारिता (Electrical Capacitance) ♦

किसी विलगित चालक को आवेश दिया जाता है तो उसके विभव में उसी अनुपात में वृद्धि होती है।
    Q ∝ V
    Q = C.V

    C = Q ⁄ V

(जहाँ C एक नियतांक है इस नियतांक को चालक की विद्युत धारिता कहते है।)

विद्युत धारिता :- किसी चालक के विद्युत धारिता उस चालक को दिये गए आवेश तथा इस आवेश के कारण चालक के विभव में होने वाले वृद्धि के अनुपात को कहा जाता है।

     C = Q/V
     If V = 1 Volt

     C = Q

अर्थात चालक का विभव 1 Volt बढ़ाने के लिए जो जो आवेश देना पड़ता है वह चालक की धारिता कहलाता है।

• चालक की की धारिता उसके आवेश ग्रहण क्षमता की माप होती है।
• विधुत धारिता का SI मात्रक कुलाॅम्ब / वोल्ट या फैराडे होता है।

1 फैराडे :- यदि किसी चालक को 1 कुलाॅम्ब आवेश देने पर उसके विभव में 1 वोल्ट की वृद्धि हो जाए तो उसकी धारिता 1 फैराडे कहलाती है।

प्रश्न :- यदि किसी चालक के आवेश को दुगना कर दिया जाता है तो उसकी धारिता पर क्या प्रभाव होगा।

(i) दोगुना
(ii) आधा
(iii) अपरिवर्तित
(iv) चार गुणा

उत्तर (iii) अपरिवर्तित

प्रश्न :- यदि किसी चालक के विभव को दुगना कर दिया जाता है तो उसकी धारिता पर क्या प्रभाव होगा।

(i) दोगुना
(ii) आधा
(iii) अपरिवर्तित
(iv) चार गुणा

उत्तर (iii) अपरिवर्तित

चालक के धारिता को प्रभावित करने वाले कारक :-

(i) चालक का आकार :- चालक के आकार बढ़ाने पर उसकी धारिता बढ़ जाती है छोटे चालक की धारिता कम तथा बड़े चालाक की धारिता अधिक होती है।

(ii) चालक की आकृति :- चालक का आकार सामान रखते हुए उसकी आकृति बदल दी जाए तो चालक की धारिता बदल जाती है क्योंकि चालक की आकृति बदलने से उसके विभव बदल जाते हैं।

(iii) चालक के निकटवर्ती माध्यम पर :- चालक का विभव चालक के निकटवर्ती माध्यम पर निर्भर करता है अतः चालक की धारिता भी चालक के निकटवर्ती माध्यम पर निर्भर करता है।

                     माध्यम की आपेक्षिक विद्युतशीलता जितनी अधिक होती है चालक का विभव उतना ही काम तथा धारिता उतना ही अधिक होता है।

(iv) चालक के पास अन्य चालकों की उपस्थिति :- आवेशित चालक के पास एक अन्य अनावेशित चालक लाने पर आवेशित चालक का विभव कम हो जाता है अतः इसकी धारिता बढ़ जाती है।

आवेशित चालक की स्थितिज ऊर्जा :-

किसी चालक की स्थितिज ऊर्जा उस कार्य के बराबर होती है जो उसे प्रारंभिक अनावेशित अवस्था से आवेशित करने में किया जाता है।

माना किसी चालक की धारिता C है आवेशन की प्रक्रिया में किसी क्षण चालक पर आवेश q1 तथा चालक का विभव V1 हो तो

            C = q1/V1

            V1 = q1/C

यदि चालक को अतिरिक्त सूक्ष्म आवेश dq दिया जाए तो किया गया कार्य

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संधारित्र तथा इसके सिद्धांत :-

संधारित्र एक ऐसी युक्ति है जिसमें किसी चालक के आकार में वृद्धि किए बिना आवेश को नियत रखकर विभव के मान में कमी करके धारिता के मान में वृद्धि की जाती है।

संधारित्र को किसी आवेशित चालक के निकट अन्य भूसम्पर्कित आवेशित चालक को लाकर बना सकते हैं ,जिससे चालक की धारिता में बहुत अधिक वृद्धि हो जाती है।

संधारित्र की धारिता को प्रभावित करने वाले कारक :-

(i) प्लेटो के उभयनिष्ठ क्षेत्रफल पर :- संधारित्र की धारिता प्लेटों के उभयनिष्ठ क्षेत्रफल (A) का अनुक्रमानुपाती होता है।
      C ∝ A

(ii) प्लेटो के बीच की दूरी पर :- संधारित्र की धारिता प्लेटों के बीच की दूरी (d) का व्युत्क्रमानुपाती होता है।
     C ∝ 1 ⁄d

(iii) प्लेटो के बीच माध्यम पर :- संधारित्र की धारिता दो प्लेटों के बीच स्थित माध्यम पर निर्भर करता है। यह माध्यम के परावैद्युतांक (∈r) का अनुक्रमानुपाती होता है।
      C ∝ ∈r

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संधारित्रों का समायोजन :-

संधारित्रों का समायोजन मुख्यतः दो प्रकार से किया जाता है।

(i) श्रेणीक्रम समायोजन

(ii) समानांतर क्रम समायोजन

(i) संधारित्रों का श्रेणीक्रम समायोजन :-

माना तीन संधारित्र क्रमशः श्रेणीक्रम में जोड़े गये हैं जिनकी धारिता क्रमशः C1,C2 तथा C3 है। जब पहली प्लेट को +q आवेश दिया जाता है तो प्रेरण की क्रिया से प्रत्येक संधारित्र की पहली प्लेट पर +q तथा दूसरे प्लेट पर -q आवेश उत्पन्न हो जाता है। माना संधारित्र के प्लेटो के बीच विभावांतर क्रमशः V1,V2 तथा V3 हो तो परिणामी विभावांतर
              V = V1 + V2 + V3 …………(i)

(ii) संधारित्रों का समानांतर क्रम समायोजन :-

माना तीन संधारित्र समानांतर क्रम में जुड़े हैं जिनकी धारिता C1,C2 तथा C3 है। प्रत्येक संधारित्र की पहली प्लेट को बिंदु A से तथा दूसरी प्लेट को बिंदु B से जोड़ा जाता है।बिंदु B पृथ्वी से जुड़ी है। जब बिंदु A को +Q आवेश दिया जाता है तो यह तीनों संधारित्रों के अनुपात में बट जाता है।
यदि संधारित्र को क्रमशः q1 ,q2 तथा q3 आवेश प्राप्त
होते हैं तो
Q = q1 + q2 + q3…………..(i)
चुकि प्रत्येक संधारित्र के दोनों प्लेटो के बीच विभावांतर बिंदु A तथा B के बीच विभावांतर V के बराबर होता है।
चुकि C = q/V
⇒ q = C.V
∴ q1 = C1.V     ,   q2 = C2.V    &   q3 = C3.V
समीकरण (i) से,
Q = q1 + q2 + q3
Q = C1.V + C2.V + C3.V
यदि समायोजन की समतुल्य धारिता Ceq हो तो
Q = Ceq.V
Ceq.V = V( C1 + C2 + C3 )

Ceq. = ( C1 + C2 + C3 )

प्रश्न :- चित्र में A तथा B के बीच समतुल्य धारिता ज्ञात करें।

उत्तर ⇒ (i) 4 μF , (ii) 200 ⁄ 3 μF  , (iii) 0.5 μF ,  (iv) 10 μF


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