BSEB Board Hindi grammar || Hindi Grammar – Sandhi :- दोस्तों अगर आप लोग भी इस बार बिहार बोर्ड कक्षा 12वीं का परीक्षा देने वाले हैं तो आप सभी को यहां कक्षा 12वीं का जो व्याकरण से सवाल पूछे जाते हैं आपको यहां पूरी जानकारी दी जाएगी जैसे – विशेषण ,संधि – विच्छेद , मुहावरे , लिंग – निर्णय ,उत्सर्ग , समास , यह सभी टॉपिक आपको इस वेबसाइट के माध्यम से प्रोवाइड किया जाएगा तो आप लोग नीचे दिए गए व्हाट्सएप ग्रुप को ज्वाइन करें जिससे आप सभी यहां से अपनी तैयारी को मजबूत कर सकते हैं तो आप सभी नीचे दिए गए व्हाट्सएप एवं टेलीग्राम ग्रुप को जरूर ज्वाइन करें
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♦ सन्धि ♦
दो वर्णों या ध्वनियों के संयोग से होने वाले विकार को सन्धि कहते हैं। सन्धि करते समय कभी-कभी एक अक्षर में, कभी-कभी दोनों अक्षरों में परिवर्तन होता है और कभी-कभी दोनों अक्षरों के स्थान पर एक तीसरा अक्षर बन जाता है। इस सन्धि पद्धति द्वारा भी शब्द रचना होती है।
जैसे — सुर + इन्द्र = सुरेन्द्र , विद्या + आलय = विद्यालय , सत + आनन्द = सदानन्द ।
इन शब्द खण्डों में प्रथम खण्ड का अन्त्याक्षर और दूसरे खण्ड का प्रथमाक्षर मिलकर एक भिन्न वर्ण बन गया है, इस प्रकार के मेल को सन्धि कहते हैं ।
♦ सन्धि तीन प्रकार की होती हैं ♦
[1] स्वर सन्धि
[2] व्यंजन सन्धि
[3] विसर्ग सन्धि
1. स्वर सन्धि — स्वर के साथ स्वर का मेल होने पर जो विकार होता है, उसे स्वर सन्धि कहते हैं ।
♦ स्वर संधि के पाँच भेद है ♦
[1] दीर्घ सन्धि
[2] गुण सन्धि
[3] वृद्धि सन्धि
[4] यण् सन्धि
[5] अयादि सन्धि ।
[1] दीर्घ सन्धि — सवर्ण ह्रस्व या दीर्घ स्वरों के मिलने से उनके स्थान में सवर्ण दीर्घ स्वर हो जाता है। वर्णों का संयोग चाहे ह्रस्व + ह्रस्व हो, या ह्रस्व + दीर्घ और चाहे दीर्घ + दीर्घ हो, यदि सवर्ण स्वर है तो दीर्घ हो जाएँगी। इस सन्धि को दीर्घ सन्धि कहते हैं।
जैसे —
अ + अ = आ = पुष्प + अवली = पुष्पावली
अ + आ = आ = हिम + आलय = हिमालय
इ + ई = ई = हरी + ईश = हरीश
ई + ई = ई = नदी + ईश = नदीश
उ + उ = ऊ = सु + उक्ति=सूक्ति
ऊ + ऊ = ऊ = भू+ ऊर्ध्व = भूर्ध्व
[2] गुण सन्धि — जब अ अथवा आ के आगे ‘इ’ अथवा ‘ई’ आता है तो इनके स्थान पर ‘ए’ हो जाता है। इसी प्रकार अ या आ के आगे उ या ऊ आता है तो ‘ओ’ हो जाता है तथा अ या आ के आगे ऋ आने पर ‘अर्’ हो जाता है। दूसरे शब्दों में, हम इस प्रकार कह सकते हैं कि जब अ आ के आगे ‘इ’, ‘ई’ या ‘उ’ ‘ऊ’ तथा ‘ऋ’ हो तो क्रमशः ‘ए’, ‘ओ’ और ‘अर’ हो जाता है, इसे गुण सन्धि कहते हैं।
जैसे —
अ + ई = ए = गण+ ईश = गणेश
अ + उ = ओ = चन्द्र + उदय = चन्द्रोदय
आ + उ = ओ = महा + उत्सव = महोत्सव
अ + ऋ = अर = देव + ऋषि = देवर्षि
[3] वृद्धि सन्धि — जब अ या आ के आगे ‘ए’ या ‘ऐ’ आता है तो दोनों का ‘ऐ’ हो जाता है। इसी प्रकार अ या आ के आगे ‘ओ’ या ‘औ’ आता है तो दोनों का ‘औ’ हो जाता है, इसे वृद्धि सन्धि कहते हैं।
जैसे —
अ + ए = ऐ = पुत्र + एषणा = पुत्रैषणा
आ + ए = ऐ = सदा + एव = सदैव
आ + ऐ = ऐ = महा + ऐश्वर्य = महेश्वर्य
अ + ओ = औ = जल + ओकस = जलौकस
आ + औ = औ = महा+औषधि=महौषधि
[4] यण् सन्धि — जब इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ल के आगे कोई स्वर आता है तो ये क्रमशः य्, व् र्, ल् में परिवर्तित हो जाते हैं, इस परिवर्तन को यण् सन्धि कहते हैं ।
जैसे —
इ + अ = य् = अति + अल्प=अत्यल्प
उ + आ = व् = सु + आगत = स्वागत
ऋ + आ = र् = पितृ + आज्ञा = पित्ताज्ञा
[5] अयादि सन्धि — जब ए, ऐ, ओ और औ के बाद कोई स्वर आता है तो ‘ए’ का ‘अय’ ‘ऐ’ का ‘आय्’ ‘ओ’ का ‘अव्’ और ‘औ’ का ‘आव्’ हो जाता है।
जैसे —
ए + अ = अय् = ने + अयन = नयन
ओ + अ = अव् = पो + अन = पवन
2. व्यंजन सन्धि — व्यंजन के साथ व्यंजन या स्वर का मेल होने से जो विकार होता है, उसे व्यंजन सन्धि करते हैं।
व्यंजन सन्धि के प्रमुख नियम इस प्रकार हैं-
(1) यदि स्पर्श व्यंजनों के प्रथम अक्षर अर्थात् क्, च्, ट्, त्, प के आगे कोई स्वर अथवा किसी वर्ग का तीसरा या चौथा वर्ग अथवा य, र, ल, व आए तो क्, च्, ट्, प्, के स्थान पर उसी वर्ग का तीसरा अक्षर अर्थात् क के स्थान पर ग, च के स्थान पर ज, ट के स्थान पर ड, तक के स्थान पर द और प के स्थान पर ‘ब’ हो जाता है।
जैसे—
दिक् + अम्बर = दिगम्बर
वाक् + ईश = वागीश
अच् + अन्त = अजन्त
षट् + आनन = षडानन
सत् + आचार = सदाचार
उत् + घाटन = उद्घाटन
तत् + रूप = तद्रूप
(2) यदि स्पर्श व्यंजनों के प्रथम अक्षर अर्थात् क , च् , ट् , त् प् के आगे कोई अनुनासिक व्यंजन आए तो उसके स्थान पर उसी वर्ग का पाँचवाँ अक्षर हो जाता है।
जैसे—
षट + मास = षण्मास
अय + मय = उम्मय
(3) जब किसी ह्रस्व या दीर्घ स्वर के आगे छ् आता है तो छ् के पहले च् बढ़ जाता
जैसे—
परी + छेद = परिच्छेद
पद + छेद = पदच्छेद
आ + छादन= आच्छादन
(4) यदि म् के आगे कोई स्पर्श व्यंजन आए तो म् के स्थान पर उसी वर्ग का पाँचवाँ वर्ण हो जाता है।
जैसे—
शम् + कर = शंक
सम् + तोष= सन्तोष
(5) यदि म के आगे कोई अन्तस्थ या ऊष्म व्यंजन आए अर्थात् य्, र्, ल्, व्, श्, ष्, स्, ह्, आए तो ‘म’ अनुस्वार में बदल जाता है।
जैसे —
सम् + सार = संसार
सम् + योग = संयोग
स्वयं + वर = स्वयंवर
(6) यदि त् और द् के आगे ज् या झ् आए तो उसका ‘ज्’ हो जाता है।
जैसे —
उत् + ज्वल = उज्ज्वल
सत् + जन = सज्जन
(7) यदि त्, द् के आगे श् आए तो त्, द् का ‘च्’ और श् का ‘छ्’ हो जाता है। यदि त्, दू, के आगे अ आए तो तू का ‘द्’ और ह का ‘ध्’ हो जाता है।
जैसे—
उत् + हार = उद्धार
तद् + हित = तद्धित
(8) यदि च् या ज् के बाद न् आए तो न् के स्थान पर ‘ज्ञ’ याञ् हो जाता है।
जैसे —
यज् + न = यज्ञ
(9) यदि अ, आ को छोड़कर किसी भी स्वर के आगे स् आता है तो बहुधा स् के स्थान पर ष् हो जाता है।
जैसे —
वि + सम = विषम
नि + सेध = निषेध
सु + सुप्त = सुषुप्त
(10) ष् के पश्चात त् या य् आने पर उसके स्थान पर क्रमशः ट् और ठ् हो जाता है। जैसे-
जैसे—
आकृष + ट = आकृष्ट
तुष + त= तुष्ट
(11) यदि ॠ, र या ष आगे न् आए और बीच में चाहे स्वर का वर्ण प वर्ग, अनुस्वार अथवा य, ह अए तो न के स्थान पर ण हो जाता है।
जैसे —
भूष + अन = भूषण
परि + मान = परिमाण
राम + अयन = रामायण
3. विसर्ग सन्धि — विसर्गों का प्रयोग संस्कृत को छोड़कर संसार की किसी भी भाषा में नहीं होता है । हिन्दी में भी विसर्गों का प्रयोग नहीं के बराबर होता है। कुछ इने-गिने विसर्गयुक्त शब्द हिन्दी में प्रयुक्त होते हैं।
जैसे — अतः, पुनः, प्रायः, शनैः शनैः आदि। हिन्दी में मनः, तेजः, आयुः, हरि: के स्थान पर मन, तेज, आयु, हरि शब्द चलते हैं; इसलिए यहाँ विसर्ग सन्धि का प्रश्न ही नहीं उठता। फिर भी हिन्दी पर संस्कृत का सबसे अधिक प्रभाव है। संस्कृत के अधिकांश विधि निषेध हिन्दी में प्रचलित हैं । विसर्ग सन्धि के ज्ञान के अभाव में हम वर्तनी की अशुद्धियों से मुक्त नहीं हो सकते, अतः इसका ज्ञान होना आवश्यक है।
• विसर्ग के साथ स्वर या व्यंजन के संयोग से जो विकार होता है, उसे विसर्ग सन्धि कहते हैं। इसके प्रमुख नियम निम्नलिखित हैं-
(1) यदि विसर्ग के आगे श, ष, स आए तो वह क्रमशः श्, ष्, स्, में बदल जाता है।
जैसे —
दु: + शासन = दुश्शासन
निः + सन्देह = निस्सन्देह
निः + स्वार्थ = निस्स्वार्थ
(2) यदि विसर्ग से पहले इ या उ हो और बाद में र आए तो विसर्ग का लोप हो जाएगा और इ तथा उ दीर्घ ई, ऊ में बदल जाएंगे।
जैसे—
निः+ रोग नीरोग
(3) यदि विसर्ग के बाद च, छ, ट, उ तथा त, थ आए तो विसर्ग क्रमशः श्, ष, स, में बदल जाते हैं।
जैसे—
निः + छल = निश्छल
दुः + चरित्र = दुश्चरित्र
धनुः + टंकार = धनुष्टंकार
(4) विसर्ग के बाद क, ख, प, फ रहने पर विसर्ग में कोई विकार नहीं होता ।
जैसे—
प्रातः + काल = प्रातः काल
अन्तः+करण = अन्तःकरण
(5) यदि विसर्ग से पहले अ या आ को छोड़कर कोई स्वर हो और बाद में वर्ण के तृतीय, चतुर्थ और पंचम वर्ण अथवा य र ल व में से कोई वर्ण हो तो विसर्ग र में बदल जाता है।
जैसे—
निः + गुण = निर्गुण
निः + आधार = निराधार
(6) यदि विसर्ग से पहले अ, आ को छोड़कर कोई अन्य स्वर आए और बाद में कोई भी स्वर आए तो भी विसर्ग र में बदल जाता है ।
जैसे—
निः + आशा = निराशा
निः + उपाय = निरूपाय
निः + अर्थक = निरर्थक
(7) यदि विसर्ग से पहले अ आए और बाद में य, र, ल, वर या ह आए तो विसर्ग का लोप हो जाता है तथा अ ‘ओ’ में बदल जाता है।
जैसे—
मनः + विकार = मनोविकार
मनः + रथ = मनोरथ
मनः + रम = मनोरम
(8) यदि विसर्ग से पहले इ या उ आए और बाद में क, ख, प, फ में से कोई वर्ण आए तो विसर्ग ष में बदल जाता है।
जैसे —
निः + काम = निष्काम
निः + पाप = निष्पाप
निः+ फल = निष्फल
♦ अभ्यास प्रश्न ♦
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1. ‘जगन्नाथ’ का संधि-विच्छेद होगा –
[A] जग + नाथ
[B] जगत् + नाथ
[C] जग + अनाथ
[D] जग + नथ
2. ‘मनोनुकूल’ का संधि-विच्छेद होगा-
[A] मनो + नुकूल
[B] मनोनु + कूल
[C] मन: + अनुकूल
[D] मन + अनुकूल
3. ‘दुस्साहस’ का संधि-विच्छेद होगा-
[A] दुस + साहस
[B] दुस्सा + हस
[C] दुस् + साहस
[D] दु: + साहस
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4. ‘दिगम्बर’ का संधि-विच्छेद बतायें।
[A] दिक + अम्बार
[B] दिक + अंबर
[C] दिगम् + बार
[D] दिक् + अम्बर
5. ‘पवित्र’ का संधि-विच्छेद है-
[A] प + इत्र
[B] पौ + + इत्र
[C] पोई + त्र
[D] पो + इत्र
6. ‘परीक्षा’ का संधि-विच्छेद करें-
[A] परी + ईक्षा
[B] परि + ईक्षा
[C] परी + इक्छा
[D] परि + इक्षा
7. ‘विद्यालय’ का संधि-विच्छेद करें-
[A] विद्या + लय
[B] विद्या + आलय
[C] विद्या + अलय
[D] विद्य + आलय
8. ‘गुरुपदेश’ का संधि-विच्छेद करें-
[A] गुरु + पदेश
[B] गुरु + प्रदेश
[C] गुरु + उपदेश
[D] गुरु + देश
9. ‘प्राथमिक’ का संधि-विच्छेद है-
[A] प्रथम + इक
[B] प्र + थमिक
[C] प्राथ + मिक
[D] प्राथम + इक
10. ‘ज्ञानांजन’ का संधि-विच्छेद होगा-
[A] ज्ञाना + जन
[B] ज्ञान + अंजन
[C] ज्ञानां + जन
[D] ज्ञान जन
11. ‘ज्ञानेश्वर’ का संधि-विच्छेद होगा-
[A] ज्ञा + नेश्वर
[B] ज्ञाने + श्वर
[C] ज्ञान + ईश्वर
[D] ज्ञानेश + वर
12. ‘त्रिपुरारि’ का संधि विच्छेद है-
[A] त्रि + पुरारि
[B] त्रिपु + रारि
[C] त्रिपुरा + रि
[D] त्रिपुर + अरि
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13. ‘हास्यास्पद’ का विच्छेद होता है।
[A] हास्य + आस्पद
[B] हास्य + अस्पद
[C] हास्या + स्पद
[D] हास्यास + पद
14. ‘हितैषी’ का विच्छेद होगा-
[A] हित + एैषी
[B] हित + ऐषी
[C] हितै + षी
[D] हिते + षी
15. ‘हताहत’ का विच्छेद होता है-
[A] हत + हत
[B] हता + हत
[C] हत + आहत
[D] हताह + त
16. ‘हरीश’ का विच्छेद होता है-
[A] हरी + श
[B] हरि + श
[C] ह + रीश
[D] हरि + ईश
17. पुनर्गठन का संधि-विच्छेद होगा-
[A] पुन: + गठन
[B] पुनर् + गठन
[C] पुन + गठन
[D] पुनर + गठन
18. ‘निराधार’ का संधि-विच्छेद है-
[A] निरा आधार
[B] निस् + आधार
[C] निर + आधार
[D] नि: + आधार
19. ‘हिमालय’ का संधि विच्छेद होगा
[A] हिम + आलय
[B] हि + मालय
[C] हिमा + लय
[D] हिमाल + य
20. ‘महर्षि’ का संधि-विच्छेद होगा-
[A] मह + ऋषि
[B] महा + ऋषि
[C] मह + र्षि
[D] मह + अरसी
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21. ‘अन्वेषण’ का संधि-विच्छेद होगा-
[A] अन्व + एषण
[B] अन + एषण
[C] अनु + एषण
[D] अन्वे + षण
22. ‘मात्रानन्द’ का संधि-विच्छेद है-
[A] मातृ + आनंद
[B] मात्रा + नन्द
[C] मात्र + आनंद
[D] मात्र + आनंद
23. समुद्रोर्मि का संधि-विच्छेद है-
[A] समुद्रो + र्मि
[B] समुद्र + ऊर्मि
[C] समु + द्रोर्मि
[D] समुद्र + उर्मि
24. ऋग्वेद का संधि-विच्छेद है-
[A] ऋग + वेद
[B] ऋगवे + द
[C] ऋक् + वेद
[D] ऋ + गवेद
25. कष्ट का संधि-विच्छेद है-
[A] कष + ट
[B] क + ष्ट
[C] के + ष + ट
[D] कष् + ट
26. षडानन का संधि-विच्छेद है-
[A] षट् + आनन
[B] षट + आनन
[C] खड + आनन
[D] शड + आनन
27. मनोयोग का संधि-विच्छेद है-
[A] मनो + योग
[B] मन: + योग
[C] मन + योग
[D] मनो: + योग
28. ‘मतैक्य’ का संधि-विच्छेद होगा-
[A] मतै + क्य
[B] मतैक + य
[C] मत + क्य
[D] मत + ऐक्य
29. ‘पवन’ का संधि-विच्छेद होगा-
[A] पो + अन
[B] प + वन
[C] पव + न
[D] पव + अन
30. ‘संधि’ के कितने प्रकार हैं-
[A] पाँच
[B] दो
[C] तीन
[D] चार
31. विद्यार्थी का सही संधि-विच्छेद है-
[A] विद्या + अर्थी
[B] विद्या + र्थी
[C] विदा + अर्थी
[D] इनमें से कोई नहीं
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Class 12th Hindi Grammar | ( हिंदी ग्रामर ) मुहावरा Most VVI Objective Questions
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