BSEB Board Class 12th Elements of d and f block (d तथा f ब्लॉक के तत्त्व ) | लघु उत्तरीय प्रश्न
♦ d तथा f ब्लॉक के तत्त्व (Elements of d & f-Block) ♦
• लघु उत्तरीय प्रश्न (SHORT ANSWER TYPE QUESTIONS )
प्रश्न 1. d-ब्लॉक तत्वों से आप क्या समझते हैं उदाहरण के साथ समझाएँ।
उत्तर ⇒ वे तत्व जिनकी अंतिम इलेक्ट्रॉन d कक्षक में प्रवेश करते हैं, d – ब्लॉक तत्व कहलाते हैं।
जैसे— Fe = 1s² 2s² 2p⁶ 3s² 3p⁶ 4s² 3d⁶
• इनका सामान्य सूत्र (n – 1)d1-10 ns0- 2 होता है ।
• d-Bblock को Modern Periodic Table में S तथा P-Block के बीच में रखा गया है।
• d-Block के सभी तत्त्व धातु हैं जिन्हें संक्रमण धातु (Transition metals) कहा जाता है क्योंकि इनका गुण S-Block तथा P-Block के धातुओं के गुणों के बीच परिवर्तित होता रहता है।
• d-Block के सभी तत्व धातु हैं जिनके परमाणुओं के बीच प्रबल धात्विक बंध (metallic bond) उपस्थित है। अत: उनका द्रवणांक एवं क्वथनांक उच्च होता है और वे कठोर होते हैं।
• d-Block तत्त्वों के आयनों एवं यौगिकों में d-orbitals प्राय: अपूर्ण होता है जिसके कारण वे रंगीन यौगिकों का निर्माण करते हैं।
• d-Block तत्त्वों के आयनों एवं यौगिकों में d Orbitals में प्रायः अयुग्मित इलेक्ट्रॉन (unpaired electrons) उपस्थित रहते हैं। अतः वे अनुचुम्बकीय प्रकृति (paramagnetic nature) के होते हैं।
• परिवर्तनशील संयोजकता (variable valencies) तथा मुक्त संयोजकता (free valencies) के कारण d-Block के धातुओं तथा उनके यौगिकों में उत्प्रेरक गुण (catalytic properties) पाया जाता है।
• d-Block के घातुओं का घनत्व सापेक्षतः अधिक होता है।
BSEB Board Class 12th (d तथा f ब्लॉक के तत्त्व ) | लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 2. संक्रमण तत्व किसे कहते हैं ? Zn, Cd, Hg को संक्रमण धातु (Transition metal) नहीं माना है जबकि ये d-ब्लॉक तत्व हैं। कारण बताएँ ।
उत्तर ⇒ संक्रमण तत्व वे तत्व कहलाते हैं जिनमें अपूर्ण अथवा आपूरित d–कक्षकों का विन्यास पाया जाता है। चूँकि Zn, Cd, तथा Hg में पूर्ण भरे d – कक्षकों का विन्यास पाया जाता है तथा वे + 2 ऑक्सीकरण अवस्था में भी . पूर्ण भरे कक्षकों के विन्यास रखते हैं। अतः संक्रमण धातु नहीं माना जाता है लेकिन इन्हें d-ब्लॉक के तत्व कहते हैं।
प्रश्न 3. संक्रमण तत्वों के निम्नलिखित गुणों का वर्णन करें।
(i) उत्प्रेरकीय गुण,
(ii) चुम्बकीय गुण
उत्तर ⇒ (i) उत्प्रेरकीय गुण (Catalytic properties): संक्रमण धातुएँ के उत्प्रेरकीय गुण संभव: d कक्षकों में अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों के कारण होती है ।
X + उत्प्रेरक → X. उत्प्रेरक
एक प्रतिकारक संक्रमण धातु
X. उत्प्रेरक + Y → XY + उत्प्रेरक
दूसरा प्रतिकारक
(ii) चुम्बकीय गुण (Magnetic behaviour): अधिकांश संक्रमण धातुओं में अयुग्मित इलेक्ट्रॉन होते हैं। अतः अनुचुम्बकीय गुण (paramagnetic character) प्रस्तुत करते हैं । अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या बढ़ने पर अनुचुम्बकीय गुण बढ़ता है।
Fe26 → 1s² 2s² 2p⁶ 3s² 3p⁶ 4s² 3d⁶
Fe2+→ 1s² 2s² 2p⁶ 3s² 3p⁶ 3d⁶ 4s0
↑↓ | ↑ | ↑ | ↑ | ↑ |
Fe2+ में चार अयुग्मित इलेक्ट्रॉन हैं।
प्रश्न 4. संक्रमण तत्वों में परिवर्तनशील ऑक्सीकरण अवस्था क्यों होते हैं ?
उत्तर ⇒ संक्रमण तत्व में ns और (n – 1) d इलेक्ट्रॉन के बंधन में भाग लेने के कारण परिवर्तनशील ऑक्सीकरण अवस्था होती है क्योंकि ns and (n – 1)d ऑर्बिटल की ऊर्जा लगभग बराबर होती है ।
प्रश्न 5. निम्नलिखित तत्वों का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखें –
(a) V = 1s² 2s² 2p⁶ 3s² 3p⁶ 4s² 3d³
(b) Zn = 1s² 2s² 2p⁶ 3s² 3p⁶ 4s² 3d¹⁰
(c) Cu = 1s² 2s² 2p⁶ 3s² 3p⁶ 3d¹⁰ 4s¹
(d) Cr = 1s² 2s² 2p⁶ 3s² 3p⁶ 3d⁵ 4s¹
(e) Cu+ = 1s² 2s² 2p⁶ 3s² 3p⁶ 3d¹⁰ 4s⁰
(f) Cu++ = 1s² 2s² 2p⁶ 3s² 3p⁶ 3d⁹ 4s⁰
प्रश्न 6. f – ब्लॉक तत्वों से आप क्या समझते हैं उदाहरण के साथ समझाएँ।
उत्तर ⇒ जिन तत्वों के अंतिम इलेक्ट्रॉन f – Orbitals में प्रवेश करते हैं, f – ब्लॉक तत्व कहलाते हैं।
जैसे— Ce58 = 1s² 2s² 2p⁶ 3s² 3p⁶ 4s² 3d¹⁰ 4P⁶ 5s² 4d ¹⁰5p⁶ 6s² 4f²
• Modern Periodic Table में f Block को s, p & d Blocks के नीचे दो series में रखा गया है ।
• f – Block में 14-14 तत्वों के दो श्रेणी (rows) 4f – series & 5f – series हैं अर्थात् f – Block में कुल 28 तत्त्व हैं।
• f – Block के तत्त्वों का गुण संक्रमण तत्त्वों के बीच का होता है अतः इन्हें अन्तः संक्रमण तत्त्व (Inner – Transition Elements) कहते हैं।
• f – Block तत्त्वों के सामान्य बाह्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (n – 2) f (1 – 14) (n – 1) d (0 – 1) n s2 होता है।
• सभी f – Block तत्त्व भारी धातु होते हैं जिनका melting points and boiling points उच्च होता है। ये एक दूसरे के साथ एवं अन्य धातुओं के साथ मिश्रधातु (alloys) का निर्माण करते हैं।
• ऐसे तत्त्व परिवर्तनशील ऑक्सीकरण अवस्था या परिवर्तनशील संयोजकता (variable valencies) प्रदर्शित करते हैं।
• ऐसे तत्त्व रंगीन आयन एवं यौगिक का निर्माण करते हैं।
• ऐसे तत्त्व के परमाणु या आयन में अयुग्मित इलेक्ट्रॉन (unpaired electros) उपस्थित रहते हैं। अतः ये अनुचुम्बकीय (paramagnetic) होते है।
• ऐसे तत्त्व परमाणु /आयन जटिल यौगिकों (complex compounds) का निर्माण करते है ।
• ये प्रायः विद्युत संयोजी (electrovalent) यौगिकों का निर्माण करते हैं।
BSEB Board Class 12th Elements of d and f block (d तथा f ब्लॉक के तत्त्व ) | लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 7. किसी संक्रमण श्रेणी में केवल दस तत्व होते हैं। क्यों?
उत्तर ⇒ संक्रमण श्रेणी में वे तत्त्व होते हैं जिसका d-orbital अपूर्ण होता है। इसका बाह्यतम विन्यास ns2 (n – 1) d (1 – 10) होता है। d के पास अधिकतम इलेक्ट्रॉन 10 होता है। इसलिए इस श्रेणी में मात्र 10 ही तत्त्व होते हैं।
प्रश्न 8. संक्रमण तत्त्व क्यों रंगीन यौगिक बनाते हैं? व्याख्या करें।
उत्तर ⇒ संक्रमण तत्व रंगीन लवण का निर्माण करते हैं, क्योंकि संक्रमण तत्वों के आयनों में d – कक्षक के अयुग्मित इलेक्ट्रॉन बाह्य वातावरण से ऊर्जा अवशोषित करके उच्च ऊर्जा तलों में संक्रमण कर जाता है और पुनः लौटते समय ऊर्जा को प्रकाश के रूप में उत्सर्जित करता है। इस प्रकार संक्रमण तत्व रंगीन लवण का निर्माण करता है।
प्रश्न 9. Cd²+ के लवण सफेद क्यों होते हैं ?
उत्तर ⇒
Cd = 1s² 2s² 2p⁶ 3s² 3p⁶ 4s² 3d¹⁰ 4P⁶ 5s² 4d ¹⁰
Cd²+ = 1s² 2s² 2p⁶ 3s² 3p⁶ 4s² 3d¹⁰ 4P⁶ 4d¹⁰ 5s⁰
↑↓ | ↑↓ | ↑↓ | ↑↓ | ↑↓ |
चूँकि Cd²+ के पास केवल युग्मित इलेक्ट्रॉन है । अतः d-d transition Cd²+ के लवण में संभव नहीं है। इसलिए Cd²+ के लवण सफेद होते हैं।
प्रश्न 10. लैन्थेनाइड श्रेणी और ऐक्टिनाइड श्रेणी से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर ⇒ लैन्थेनाइड श्रेणी (Lanthanide series): लैन्थेनाइड श्रेणी के तत्वों के इलेक्ट्रॉन 4f कक्षक में रहते हैं। इस श्रेणी में कुल चौदह तत्वों को गया है जिनका परमाणु क्रमांक Ce58 से Lu71 तक आता है। इनका सामान्य सूत्र 4f (1 – 14) 5d (0 – 1) 6S² है । इनके सभी तत्व प्रकृति में मिलते हैं। यह अधिकतम ऑक्सीकरण संख्या +4 प्रदर्शित करता है।
ऐक्टिनाइड श्रेणी (Actinide series): ऐक्टिनाइड श्रेणी के तत्व के इलेक्ट्रॉन 5f कक्षक में भरते हैं। थोरियम Th90 से ऐक्टिनाइड श्रेणी प्रारम्भ होती है तथा लॉरिन्सियम Lr103 पर समाप्त होती है। इनमें यूरेनियम U92 परमाणु क्रमांक 92 के बाद वाले तत्व परायूरेनिक तत्व अथवा गुरु तत्व अथवा सुपर हैवी तत्व कहलाते हैं। यूरेनियम के बाद तत्व संश्लेषित है। यह अधिकतम ऑक्सीकरण संख्या + 6 तक दिखता है।
प्रश्न 11. लैन्थेनाइड संकुचन (Lanthanide contraction) किसे कहते हैं। यह लैन्थेनाइडों में क्यों होता है ?
उत्तर ⇒ लैन्थेनाइड तत्वों के बढ़ते हुए परमाणु क्रमांक के साथ-साथ घटती हुई लैन्थेनाइडों की त्रिज्या को लैन्थेनाइड संकुचन कहते हैं ।
लैन्थेनाइड संकुचन का प्रमुख कारण f – कक्षकों की स्थिति को माना गया है। 4f – कक्षक नाभिक के अति निकट रहता है तथा वह अधिक आकर्षण बल का अनुभव करता है। ज्यों ही लैन्थेनाइडों के 4f कोश से इलेक्ट्रॉन बाहर निकलता है प्रोटॉन का नाभिकीय बल बढ़ जाता है। यह इतना अधिक होता है कि f – कक्षक संकुचित अनुभव होता है। इस प्रभाव को ही लैन्थेनाइड संकुचन कहते हैं ।
प्रश्न 12. लैन्थेनॉयडों द्वारा कौन-कौन सी ऑक्सीकरण अवस्थाएँ प्रदर्शित की जाती हैं ?
उत्तर ⇒ लैन्थेनॉयड की सामान्य स्थायी ऑक्सीकरण अवस्था +3 है। परन्तु कुछ + 2 एवं + 4 ऑक्सीकरण अवस्थाएँ भी प्रकट करते हैं। ये अतिरिक्त ऑक्सीकरण अवस्थाएँ सामान्यतः वे तत्त्व प्रदर्शित करते हैं जो f 0 , f 7 या f 14 स्थाई विन्यास प्राप्त करते हैं।
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