BSEB BOARD Class 12th Chemistry P – Block Elements ( P -ब्लॉक तत्व )Short Questions and Answers PDF Download
♦P-ब्लॉक के तत्व(Elements of p-Block)♦
•लघु उत्तरीय प्रश्न (SHORT ANSWER TYPE QUESTIONS)
प्रश्न 1 : P – ब्लॉक के तत्व से आप क्या समझते हैं?
उत्तर ⇒ वे तत्व जिनके अन्तिम इलेक्ट्रॉन P- उपकोश में प्रवेश करते हैं, P– ब्लॉक के तत्व कहलाते हैं। इनके बाह्यतम कोश का विन्यास ns² np(1 – 6) होता है। ये आवर्त सारणी के वर्ग 13 से 18 में रखे गये हैं।
उदाहरणार्थ – F = 1S² 2S² 2P⁵
• P-Block में तृत्त्वों की कुल संख्या 33 है।
• S-Block तथा P-Block के तत्त्वों को संयुक्त रूप में Normal elements/Representative elements / Main group elements कहा जाता है।
• P-Block में सभी प्रकार के तत्व है।- Metals , Non-metals तथा Metalloids होते हैं।
• P-Block के तत्त्वों का सामान्य संयोजी इलेक्ट्रॉनिक विन्यास ns² np(1 – 6) होता है।
• P-Block में बाएँ से दाएँ जाने पर तत्त्वों का अधात्विक गुण (Non-metallic properties) बढ़ता है।
• प्राय: सभी p-Block के तत्त्व सह संयोजी यौगिकों (covalent compounds) का निर्माण करते हैं।
• P-Block के तत्त्वों के आयनन ऊर्जा का मान अपेक्षाकृत अधिक होता है। इसी कारण अधिकांश p-Block तत्त्व धनायन (cation) का निर्माण नहीं करते हैं।
• P-Block के तत्त्वों की विद्युत ऋणात्मकता सापेक्षतः अधिक होती है।
• P-Block के तत्त्वों विशेषकर अधातुओं के इलेक्ट्रॉन बंधुता (Electron gain enthalpy) अधिक होती है।
• P-Block के सात तत्त्व Si, Ge, As, Sb, Te, Po & At उपधातु (metalloids) होते हैं।
प्रश्न 2 : नाइट्रोजन की क्रियाशीलता फॉस्फोरस से भिन्न क्यों है ?
उत्तर ⇒ नाइट्रोजन अणु (N2) में दो नाइट्रोजन परमाणु त्रिबन्ध ( N ≡ N) द्वारा जुड़े रहते हैं। परमाण्विक आकार छोटा होने के कारण बन्धन ऊर्जा बहुत अधिक होते हैं। परिणामस्वरूप N2 कमरे के ताप पर कम क्रियाशील है। फॉस्फोरस का आकार बड़ा होने के कारण बहुबन्ध संभव नहीं है। यह P4 अणु के रूप में उत्पन्न होता है जिसमें P परमाणु एक-दूसरे से एकल सहसंयोजी बंधों द्वारा जुड़े होते हैं।
प्रश्न 3 : N2 कमरे के ताप पर कम क्रियाशील क्यों है ?
उत्तर ⇒ नाइट्रोजन अणु में नाइट्रोजन के दो परमाणु त्रि आबन्ध ( N ≡ N) से बँधे होते हैं। छोटी परमाण्विक आकृति के कारण बंधन ऊर्जा (96kJ/mole) बहुत अधिक होती है। अतः N2 कमरे के ताप पर कम क्रियाशील है।
प्रश्न 4. नाइट्रोजन सिर्फ NCl3 का निर्माण करता है जबकि फॉस्फोरस PCl3 और PCl5 दोनों बनाता है। व्याख्या करें।
उत्तर ⇒
7N = 1S² 2S² 2P³
15P = 1S² 2S² 2P⁶ 3S² 3P³ 3d0
नाइट्रोजन सिर्फ NCl3 बनाता है जबकि फॉस्फोरस PCl3 और PCl5 दोनों बनाता है क्योंकि नाइट्रोजन के संयोजी शेल में रिक्त d-ऑर्बिटल नहीं होता है जबकि फॉस्फोरस के संयोजी शेल में रिक्त d-ऑर्बिटल होता है।
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प्रश्न 5. नाइट्रोजन की इलेक्ट्रॉन बन्धुता कार्बन से कम होती है। क्यों ?
उत्तर ⇒ नाइट्रोजन तथा कार्बन के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के अनुसार नाइट्रोजन का P-उपकक्षा अर्द्धपूर्ण होता है, कार्बन की अपेक्षा। चूँकि अर्द्धपूर्ण P-उपकक्षा अधिक स्थायी होता है जिससे इलेक्ट्रॉन के प्रति नाइट्रोजन का आकर्षण कार्बन से कम होता है। अतः नाइट्रोजन की इलेक्ट्रॉन बंधुता कार्बन से कम होती है।
N = 1S² 2S² 2P³
C = 1S² 2S² 2P²
प्रश्न 6. NH3 हाइड्रोजन बंध बनाती है। परन्तु PH3 नहीं बनाती है। क्यों ?
उत्तर ⇒ अमोनिया (NH3) में N – H बंध वैद्युत ऋणात्मकता में अंतर के कारण अत्यधिक ध्रुवीय होता है। इसके विपरीत फॉस्फीन (PH3) में P – H बंध लगभग अध्रुवीय होता है क्योंकि P और H के विद्युत ऋणात्मकता लगभग समान होते हैं। अतः NH3 हाइड्रोजन बंध बनाते हैं, PH3 नहीं
प्रश्न 7. NH3 का क्वथनांक PH3 से ज्यादा है, व्याख्या करें।
उत्तर ⇒ NH3 के अणु एक दूसरे से अन्तराण्विक हाइड्रोजन आबंध से जुड़े होते हैं जो कि PH3 नहीं पाया जाता है। अतः NH3 का क्वथनांक PH3 से ज्यादा होता है
प्रश्न 8. PH3 से PH4+ का आबन्ध कोण अधिक है। क्यों ?
उत्तर ⇒
PH3 + H+ → PH4+
PH3 तथा PH4+ दोनों में SP³ प्रसंकरण होता है। मगर PH3 में केन्द्रीय परमाणु फॉस्फोरस पर एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म उपस्थित होने के कारण पिरामिडी संरचना होती है तथा बन्धन कोण 93.6° पाया जाता है। PH4+ पर एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म नहीं पाया जाता है तथा चतुष्कीय संरचना होती है और बंधन कोण 109° 28′ मिनट होता है। अतः PH3 की अपेक्षा PH4+ बधन कोण अधिक होता है।
प्रश्न 9. H3PO3 एक डाइप्रोटिक अम्ल है। क्यों ?
उत्तर ⇒ H3PO3 की संरचना से यह स्पष्ट है कि इसके पास दो हाइड्रॉक्सील समूह (OH-group) फॉस्फोरस परमाणु से आबंधित हैं। हाइड्रॉक्सील समूहों की संख्या जो फॉस्फोरस से आबंधित होती है, किसी अम्ल की प्रकृति निर्धारित करती है। अतः H3PO3 एक डाइप्रोटिक अम्ल है।
प्रश्न 10. NO गैसीय अवस्था में अनुचुम्बकीय (paramagnetic) और ठोस एवं द्रव की अवस्था में प्रतिचुम्बकीय (diamagnetic) क्यों है ?
उत्तर ⇒ NO के पास कुल संयोजी इलेक्ट्रॉन, 7 + 8 = 15 हैं जो कि विषम (odd) है अतः अयुग्मित इलेक्ट्रॉन की संख्या के कारण NO गैसीय अवस्था में अनुचुम्बकीय हैं। लेकिन द्रव और ठोस की अवस्था में ये द्विलीकरण (dimerisation) हो जाता है और इस प्रकार अयुग्मित इलेक्ट्रॉन युग्मित हो जाते हैं और ये प्रतिचुम्बकीय गुण प्रदर्शित करते हैं।
प्रश्न 11 : उजला फॉस्फोरस को पानी में डुबाकर रखा जाता है ? क्यों ?
उत्तर ⇒ उजला फॉस्फोरस का ज्वलन ताप (303 K) बहुत कम होता है। अतः ये आसानी से हवा में आग पकड़ लेते हैं। इसीलिए इन्हें पानी में डुबाकर रखा जाता है।
प्रश्न 12 : सल्फर वाष्प अवस्था में अनुचुम्बकीय क्यों प्रदर्शित करता है ?
उत्तर ⇒ वाष्प अवस्था में सल्फर विघटित होकर द्विपरमाण्विक सदस्य बनाता है। इनमें आण्विक कक्षक विन्यास ऑक्सीजन (O2) से मिलने-जुलने लगते हैं। एन्टीबान्डिंग π – कक्षकों में अयुग्मित इलेक्ट्रॉन की उपस्थिति के कारण यह O2 की तरह अनुचुम्बकीय गुण प्रदर्शित करने लगता है।
प्रश्न 13. व्याख्या करें सामान्य अवस्था में क्यों H2O तरल अवस्था में होता है जबकि H2S गैसीय अवस्था में होता है ?
उत्तर ⇒ H2S अणुओं के बीच कोई हाइड्रोजन आबंध (H-आबंध) नहीं होने के कारण कमरे के ताप पर यह गैसीय अवस्था में पाया जाता है। किंतु H2O अणुओं के बीच H-आबंध उपस्थित होने के कारण अणुओं के बीच का आकर्षण बल अधिक होता है। अतः H2O कमरे के ताप पर तरल होता है।
प्रश्न 14. O3 एक प्रबल ऑक्सीकारक के तरह क्यों क्रिया करती है? समझाइए |
उत्तर ⇒ ओजोन (O3) अणु टूटकर नवजात ऑक्सीजन (Nascent oxygen). [O] देता है। यह ऑक्सीजन [O] अधिक क्रियाशील होता है ऑक्सीकरण की क्रिया के लिए उपयुक्त होता है। अतः O3 एक प्रबल ऑक्सीकारक है।
O3 → O2 + O
नवजात ऑक्सीजन
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प्रश्न 15. H3PO3 में फॉस्फोरस की ऑक्सीकरण संख्या क्या है?
उत्तर ⇒ H3PO3 में P की ऑक्सीकरण संख्या = + 3
H3PO3 = (+1) ×3 + x + (-2) × 3 = 0
x = +3
प्रश्न 16. अम्लीय वर्षा से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर ⇒ कल-कारखानों, बिजलीघरों तथा स्वचालित वाहनों में जीवाश्म ईंधनों का इस्तेमाल होता है। इन ईंधनों के जलने से SO2 एवं NO2 गैस बनती है जो वायु में मिश्रित होकर वायु को प्रदूषित कर देती है। वायु में जल की उपस्थिति में SO2 ऑक्सीकृत होकर H2SO4 एवं NO2 ऑक्सीकृत होकर HNO3 में परिवर्तित हो जाता है। यह अम्ल वर्षा के जल के साथ धरती पर आते हैं। इसे अम्ल वर्षा कहा जाता है।
प्रश्न 17. ओजोन के विरंजक गुण को बताएँ ।
उत्तर ⇒ ओजोन के विरंजक गुण है-
(i) ओजोन शक्तिशाली ( reducing agent) के रूप में कार्य करता है।
(ii) इसमें ऑक्सीजन के साथ-साथ नवजात ऑक्सीजन का उत्पादन करने की क्षमता है।
प्रश्न 18. हैलोजन परिवार के कौन-कौन सदस्य हैं?
उत्तर ⇒ फ्लोरीन, क्लोरीन, ब्रोमीन और आयोडीन – ये सभी तत्त्व एक ही परिवार के सदस्य हैं। इन्हीं सब तत्त्वों को सम्मिलित रूप में हैलोजन परिवार’ कहते हैं।
प्रश्न 19 . HF, HCI, HBr एवं HI में सबसे प्रबल अवकारक कौन है?
उत्तर ⇒ चूँकि आयोडीन (I) अणु का आकार (size) बड़ा है अतः HI के टुटने में आसानी होती है और इसलिए HI प्रबलतम अवकारक होता है।
प्रश्न 20. सल्फर SF6 बनाता है, पर SCl6 नहीं, क्यों ?
उत्तर ⇒ फ्लोरीन (F) का आकार छोटा है जिसके कारण फ्लोराइड आयन (F–) सल्फर को चारों ओर से घेर कर SF6 बनाता है, जबकि क्लोरीन (CI) का आकार F से बड़ा है जिसके कारण क्लोराइड आयन (CI–) सल्फर से विकर्षित होता है और SCl6 नहीं बनता है।
प्रश्न 21. Cl, Br, I या हैलोजन आवर्त सारणी के किस वर्ग के सदस्य हैं ?
उत्तर ⇒ Group – VIIA या Group 17
प्रश्न 22. समुद्र के अंदर गोताखोरों के श्वसन-यंत्रों में ऑक्सीजन के साथ हीलियम भी मिश्रित रहता है। कारण बताएँ ।
उत्तर ⇒ समुद्र के अंदर गोताखोरों के श्वसन : यंत्रों में ऑक्सीजन के साथ हीलियम भी मिश्रित रहता है क्योंकि हीलियम अक्रिय गैस होने के कारण रक्त में नहीं घुलती है। और यह उच्च दाब पर नाइट्रोजन की अपेक्षा खून में कम घुलनशील होती है।
प्रश्न 23. HI, HF से सबल अम्ल है। क्यों ?
उत्तर ⇒ फ्लोरीन का आकार अत्यधिक छोटा होने के कारण H-F की वियोजन ऊर्जा का मान अधिक होता है। अतः HF दुर्बल अम्ल है और HI, HF से सबल अम्ल है।
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प्रश्न 24. फ्लोरीन की इलेक्ट्रान बंधुता का मान क्लोरीन से कम है।क्यों ?
उत्तर ⇒ फ्लोरीन की छोटी आकृति होने के कारण इलेक्ट्रॉन प्रतिकर्षण का मान बढ़ जाता है | अतः आनेवाले इलेक्ट्रॉन पर फ्लोरीन, क्लोरीन की तुलना में कम नाभिकीय आकर्षण बल लगाता है। इसीलिए फ्लोरीन की इलेक्ट्रॉन बंधुता का मान क्लोरीन से कम होता है ।
प्रश्न 25. XeOF4 का संरचना सूत्र लिखें ।
उत्तर ⇒
कुल संयोजी इलेक्ट्रॉन = 8 + 6 + 7 × 4 = 42
बंधित इलेक्ट्रॉन युग्म = (6 – 1) × 8 = 40
अयुग्मित इलेक्ट्रॉन युग्म = (42 – 40)/2 = 1
कुल मिश्रित ऑरबिटल = 6 – 1 + 1 = 6
प्रसंस्करण — SP³d²
संरचना — अष्टफलकीय
आकृति — वर्ग पिरामिडल
प्रश्न 26. उत्कृष्ट गैसों की परमाणु त्रिज्या तुलनात्मक रूप से बढ़ी होती है। क्यों?
उत्तर ⇒ उत्कृष्ट गैसों की परमाणविक त्रिज्या तुलनात्मक रूप से बड़ी होती है। इसका कारण यह है कि उत्कृष्ट गैसों की त्रिज्या केवल वाण्डर वाल्स त्रिज्या होती है। (क्योंकि ये अणु नहीं बनाते हैं) जबकि अन्यों की सहसंयोजक त्रिज्याएँ होती हैं। वाण्डर वाल्स त्रिज्या सहसंयोजक त्रिज्या से अधिक होती है, अतः उत्कृष्ट गैसों के परमाणविक आकार तुलनात्मक रूप से बड़े होते हैं।
प्रश्न 27. बताइए क्यों— अक्रिय गैसों में केवल Xe ही रासायनिक यौगिक बनाता है।
उत्तर ⇒ Xe परमाणु का आकार (Size) एवं आयनन विभव (Ionization Potential) अन्य अक्रिय गैसों की तुलना में क्रमशः बड़ा एवं अपेक्षाकृत कम होता है। Xe परमाणु के अंतिम कक्षा में d – उपकक्षाएँ भी मौजूद हैं। इसलिए युग्मित इलेक्ट्रॉन d उपकक्षाओं में जाकर अयुग्मित हो सकती हैं। ये अयुग्मित इलेक्ट्रॉन अधातुओं के इलेक्ट्रॉनों के साथ युग्मन कर सह-संयोजन आबंधों का निर्माण करते हैं। इस प्रकार अक्रिय गैसों में केवल Xe ही सही रासायनिक यौगिक बनाता है।
प्रश्न 28. व्याख्या करें— अक्रिय गैसें एक-परमाण्विक होती हैं।
उत्तर ⇒ अक्रिय गैस की बाहरी कक्षा में इलेक्ट्रॉन की संख्या दो या आठ होती है जो कि स्थिरता प्रदान करती है इसीलिए वह किसी दुसरे तत्व से बंधन नहीं बनाता तथा एक परमाण्विक होता है ।
प्रश्न 29. व्याख्या करें—फ्लोरीन सिर्फ एक ऑक्सीकरण अवस्था प्रकट करता है जबकि शेष हैलोजस ऑक्सीकरण अवस्था प्रकट करते हैं।
उत्तर ⇒ फ्लोरीन परमाणु में d-आर्बिटल नहीं होता है। अतः इसमें कोई उत्तेजित अवस्था नहीं होता है। यही कारण है कि फ्लोरीन सिर्फ एक ऑक्सीकरण अवस्था (- 1) प्रकट करता है जबकि शेष हैलोजन्स में d-ऑर्बिटल होने के कारण एक से अधिक ऑक्सीकरण अवस्था प्रकट करते हैं।
प्रश्न 30. उत्कृष्ट गैस के तत्वों को शून्य समूह ( Zero group) में क्यों रखा जाता है ?
उत्तर ⇒ हीलियम को छोड़कर बाकी सभी उत्कृष्ट गैसों के संयोजी इलेक्ट्रॉन ns²np⁶ होते हैं जिनमें कक्षक (orbitals) पूर्णतः भरे होते हैं। अतः ये सामान्य शर्त्त पर यौगिक का निर्माण नहीं करते हैं। ये शून्य संयोजकता प्रदर्शित करते हैं। इसलिए इन्हें शून्य समूह में रखा जाता है।
प्रश्न 31. उत्कृष्ट गैस के द्रवनांक एवं क्वथनांक बहुत कम होते हैं ?
उत्तर ⇒ उत्कृष्ट गैसे एक परमाण्विक होने के कारण इनमें केवल दुर्बल वाण्डरवाल बंधन कार्य करते हैं। इसीलिए इनके द्रवनांक एवं क्वथनांक निम्न होते हैं।
प्रश्न 32. हैलोजन रंगीन क्यों होते हैं?
उत्तर ⇒ सभी हैलोजन रंगीन प्रकृति के होते हैं । तत्वों की परमाणु क्रमांक बढ़ने के साथ अर्थात् फ्लोरीन से आयोडिन तक रंग गहरा होता जाता है।
हैलोजन में रंग का कारण उनके अणुओं द्वारा दृश्य प्रकाश को अवशोषित करने के कारण होती है जो बाह्य इलेक्ट्रॉन को उच्च ऊर्जा स्तर में उत्तेजन के लिए होता है।
प्रश्न 33. क्या होता है जबकि
(a) अमोनिया, क्लोरीन की अधिकता के साथ अभिक्रिया करता है?
(b) अम्लीकृत K2Cr2O7 से H2S अभिक्रिया करता है?
(c) ताम्र सल्फेट की अभिक्रिया KI के घोल से कराई जाती है?
उत्तर ⇒ (a)अमोनिया, क्लोरीन की अधिकता के साथ अभिक्रिया करता है।
2NH3 + 6Cl2 → 2NCl3 + 6HCl
(b) अम्लीकृत K2Cr2O7 से H2S अभिक्रिया करता है।
K2Cr2O7 + 4H2SO4 + 3H2S → K2SO4 + Cr2(SO4 )3 + 3S + 7H2O
(c) ताम्र सल्फेट की अभिक्रिया KI के घोल से कराई जाती है?
4KI + 2CuSO4 → Cu2I2+ 2K2SO4 + I2
प्रश्न 34. हैलोजन एक प्रबल ऑक्सीकारक है, क्यों ?
उत्तर ⇒ X2 + 2e– → 2X–
हैलोजन परिवार के सदस्य इलक्ट्रॉन ग्रहण कर हेलाइड्स का निर्माण करते है। यानि X2 का अवकरण होता है। अतः यह प्रबल ऑक्सीकारक है।
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प्रश्न 35. ऑक्सीजन (O2) गैस है जबकि सल्फर (S8) के रूप में अस्तित्व में रहता है तथा ठोस है; क्यों ?
उत्तर ⇒ ऑक्सीजन परमाणु का आकार छोटा होता है। अतः यह एक-दूसरे ऑक्सीजन परमाणुओं से आसानी से π – बंध बना सकता है। अतः ऑक्सीजन विलग स्थाई इकाई के रूप में अस्तित्व के रूप में रहता है। इसी वजह से यह गैस है। परन्तु सल्फर का आकार बड़ा है। अतः स्थायित्व के लिए पाश्विक रूप से अच्छादित होकर π – बंध नहीं बना सकता है लेकिन एक मुड़े हुए वलय के आकार S8 की तरह दूसरे परमाणुओं से जुड़े रहते हैं। इसी कारण यह S8 के रूप में तथा ठोस अवस्था में रहता है।
प्रश्न 36. क्या होता है, जब PCl5 को गर्म करते हैं? अभिक्रिया दें।
उत्तर ⇒ जब PCl5 को गर्म करते हैं तो PCl3 और Cl2बनता है।
PCl5 → PCl3 + Cl2
प्रश्न 37. H3PO3 क्यों एक अवकारक अभिकर्मक के रूप में कार्य करता है जबकि H3PO4 ऐसा नहीं करता है?
उत्तर ⇒ H3PO3 में P की ऑक्सीकरण संख्या + 3 होती है अर्थात् इसकी ऑक्सीकरण संख्या बढ़ सकती है अर्थात् यह अवकारक अभिकर्मक की तरह कार्य करता है जबकि H3PO4 में P की ऑक्सीकरण संख्या + 5 होती है जो कि बढ़ नहीं सकता है। अतः यही कारण है कि यह ऑक्सीकारक अभिकर्मक के रूप में कार्य करता है।
प्रश्न 38. फ्लोरीन एक अधातु है जबकि आयोडीन का कुछ गुण धातु की तरह है। क्यों ?
उत्तर ⇒ आवर्त सारणी में एक वर्ग के तत्वों की आकृति ऊपर से नीचे की ओर बढ़ती है जिसके कारण इनका धात्विक गुण बढ़ता है। अतः फ्लोरीन एक अधातु है जबकि आयोडीन का कुछ गुण धातु की तरह है।
प्रश्न 39. ट्राइडेलाइड की तुलना में पेन्टाहेलाइड अधिक सहसंयोजी है।क्यों ?
उत्तर ⇒ ट्राइहेलाइड की तुलना में पेन्टाहेलाइड में ऑक्सीकरण संख्या ज्यादा है। अतः फजन के नियम (Fajan’s rule) के अनुसार ट्राइहेलाइड की तुलना में पेन्टालाइड अधिक संयोजी है।
प्रश्न 40. श्वेत फॉस्फोरस तथा लाल फॉस्फोरस में गुणों की मुख्य भिन्नताओं को बतायें।
उत्तर ⇒
श्वेत फॉस्फोरस | लाल फॉस्फोरस |
(i) यह मोम की तरह ठोस है (ii) इसका गंध लहसुन की तरह का होता है । (iii) उसके अणु दुर्बल वान्डरवाल्स बलों द्वारा बँधे होते हैं। (iv) इसका ज्वलन ताप बहुत कम होता है तथा हवा में तुरन्त आग पकड़ लेता है । (v) यह कास्टिक क्षारों से प्रतिक्रिया करके ( फॉस्फीन (PH3) निकालता है। | (i) यह क्रिस्टलीय ठोस है। (ii) यह गंधविहीन होता है । (iii) इसमें P4 के अणु पॉलिमेटिक संरचनाओं में सहसंयोजी बंधे होते हैं। (iv) इसका ज्वलन ताप बहुत उच्च होता है। यह आग नहीं पकड़ता है। (v) यह कास्टिक क्षारों से प्रतिक्रिया नहीं करता है। |
प्रश्न 41. BCl3 लेविस अम्ल की तरह काम करता है। क्यों ?
उत्तर ⇒ BCl3 में B के पास मात्र छह संयोजी इलेक्ट्रॉन है यानी यह इलेक्ट्रॉन कमी वाला यौगिक है। अतः यह इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की क्षमता रखता है और यह लेविस अम्ल की तरह काम करता है।
प्रश्न 42. सम्पर्क विधि और ऑस्टवाल्ड विधि में प्रयुक्त उत्प्रेरक का नाम दें।
उत्तर ⇒ संपर्क विधि में प्रयुक्त उत्प्रेरक = Pt / V2O5
ऑस्टवाल्ड विधि में प्रयुक्त उत्प्रेरक = Pt.
• दीर्ध उत्तरीय प्रश्न (LONG ANSWER TYPE QUESTIONS)
प्रश्न 1. (a) सम्पर्क विधि से गन्धकाम्ल H2SO4 के सिद्धान्त के समीकरण के साथ उल्लेख करें।
(b) SO42- आयन का परीक्षण लिखें ।
उत्तर ⇒ (a) सम्पर्क विधि से गन्धकाम्ल के निर्माण का सिद्धान्तः
सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) तथा ऑक्सीजन मिलकर सल्फर ट्राइऑक्साइड (SO3) का निर्माण करते हैं।
2SO2(g) + O2(g) → 2SO3 (g), ΔH = – 45.2 kcal
यह एक उत्क्रमणीम तथा ऊष्माक्षेपी प्रतिक्रिया है, के जो लॉ-शातालीय नियम के अनुसार कम ताप और अधिक दाब पर SO3 का निर्माण ज्यादा होगा। इसके लिए उपयुक्त ताप 670-720 K तथा दाब 1.5 – 1.7 वायुमंडलीय दाब उपयुक्त है। वैनेडियम पेन्टाऑक्साइड (V2O5) उत्प्रेरक के रूप में प्रयुक्त किया जाता है। बननेवाली सल्फर ट्राइऑक्साइड को सान्द्र गंधकाम्ल के अवशोषित कराने पर ओलियम बनता है ।
SO3 + H2SO4 → H2S2O7
ओलियम
ओलियम में आवश्यक जल की मात्रा मिलाने पर गंधकाम्ल प्राप्त होता है।
H2S2O7 + H 2O → 2H2SO4
(b) सल्फेट आयन SO42- का परीक्षण :
सल्फेट आयन वाले यौगिकों को BaCl2 के साथ प्रतिक्रिया कराने पर BaSO4 का उजला अवक्षेप मिलता है।
Na2SO4 + BaCl2 → BaSO4 ↓ + 2NaCl
बोरियम सल्फेट
उजला अवक्षेप
प्रश्न 2 . अमोनिया से नाइट्रिक अम्ल के उत्पादन का सिद्धांत लिखें।
उत्तर ⇒ अमोनिया से नाइट्रिक अम्ल (HNO3) का उत्पादन :
अमोनिया के उत्प्रेरकीय ऑक्सीकरण द्वारा नाइट्रिक अम्ल (HNO3) का निर्माण बड़े पैमाने पर किया जाता है। यह विधि ओस्वाल्ड विधि (Ostwald process) के नाम से जानी जाती है।
अमोनिया (NH3) और धुलमुक्त वायु का मिश्रण 1:10 के अनुपात में (आयतन अनुसार) परिवर्तक (converter) के पेंदी में प्रवेश कराकर 1100K पर वैद्युत रूप से गर्म किया जाता है। तब अमोनिया नाइट्रिक आक्साइड में ऑक्सीकृत हो जाती है।
परिवर्तक (converter) से निकलने वाली गैसें अत्यधिक गर्म होती हैं। ये शीतलक पाइप (cooler pipes) की सहायता से लगभग 320K से 325K पर ठंडा की जाती है। ऑक्सीकरण कक्ष (oxidation chamber) में नाइट्रिक ऑक्साइड अधिक वायु से मिश्रित होकर नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) बनाती है।
2NO + O2 → 2NO2
यह नाइट्रोजन डाइक्साइड अवशोषण टावर (absorption tower) में जल से जुड़कर नाइट्रिक अम्ल बनाती है।
2NO3 + H2O → HNO3 + NO
प्रश्न 3 . हैबर पद्धति द्वारा अमोनिया कैसे बनाया जाता है ?
उत्तर ⇒ हैबर विधि अमोनिया बनाने का औद्योगिक विधि भी है। व्यापक स्तर पर अमोनिया का निर्माण हैबर विधि द्वारा किया जाता है जिसमें नाईट्रोजन तथा हाईड्रोजन की अभिक्रिया से अमोनिया बनता है।
N2(g) + 3H2(g) ⇔ 2NH3(g) ∆H = – 46.1 kJ mol-1
NH3 के निर्माण के लिए आवश्यक शर्तें :-
NH3 के निर्माण की अभिक्रिया उत्क्रमणीय तथा ऊष्माक्षेपी होती है। इसके साथ ही अभिक्रिया के कारण आयतन में कमी हो रही है अतः ले शतैलिए के सिद्धांत के आधार पर उच्च दाब NH3 के अधिक निर्माण में सहायक होगा। अतः NH3 के निर्माण के लिए सबसे अनुकूल शर्तें निम्न हैं-
(i) लगभग 200 वायुमंडलीय दाब (200 ×10⁵ Pa)
(ii) लगभग 700K ताप
(iii) K2O तथा Al2O3 युक्त आयरन ऑक्साइड उत्प्रेरक
(iv) शुद्ध N2 तथा H2 का प्रयोग ।
अमोनिया में उपस्थित नमी को CaO द्वारा दूर कर लिया जाता है।
प्रश्न 4. आयोडीन के मुख्य स्रोत क्या हैं? समुद्री घास-पात से आयोडीन के निष्कासन को लिखें।
उत्तर ⇒ आयोडीन का मुख्य स्रोत निम्नलिखित हैं-
(i) समुद्री पौधों एवं जीवों में,
(ii) चीली-साल्ट पीटर में
(iii) प्राकृतिक ब्राइन में,
समुद्री घास-पात से आयोडीन का निष्कासन इस प्रकार होता है। लैमिनेरिया (laminaria) किस्म की समुद्री घास को अच्छी तरह सुखाकर गहरे गड्डों में सावधानीपूर्वक इस प्रकार जलाया जाता है ताकि आयोडीन नष्ट नहीं होने पाए। जलने के पश्चात जो राख प्राप्त होती है, उसे केल्प (kelp) कहा जाता है। केल्प में आयोडाइड के रूप में आयोडीन की मात्रा 0.4% से 1.3% तक रहती है। केल्प को भाप द्वारा लोहे के टबों में जल में घुलाया जाता है। विलयन का सांद्रण कर ठंडी करने पर पोटैशियम क्लोराइड, सल्फेट एवं सोडियम क्लोराइड के रवे पृथक हो जाते हैं। शेष मातृद्रव में अतिविलेय पोटैशियम एवं सोडियम आयोडाइड बचते हैं। मातृ द्रव में सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल मिलाया जाता है जिससे केल्प में उपस्थित सल्फाइड गंधक के रूप में अवक्षेपित होते हैं या H2S के रूप में बाहर निकल जाते हैं। अवक्षेपित गंधक से मुक्त कर लेने के बाद द्रव को लोहे के बक-यंत्र को भट्ठी में गर्म किया जाता है। अभिक्रिया के फलस्वरूप आयोडीन का वाष्प निकलता है। आयोडीन का वाष्प संघनित होकर ठोस के रूप में एकत्र हो जाता है।
अभिक्रिया 2Nal + MnO2 + 3H2SO4 → 2NaHSO4 + MnSO4 + 2H2O + I2
Class 12 chemistry syllabus 2023-24 |Chapter 2 Objective Questions
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