ट्रांसफार्मर के सिद्धांत बनावट एवं क्रिया विधि का वर्णन करें | Describe the principle, structure and working method of transformer
Class 12th Physics

ट्रांसफार्मर के सिद्धांत बनावट एवं क्रिया विधि का वर्णन करें | Describe the principle, structure and working method of transformer

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Describe the principle structure and working method of transformer

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♦ ट्रांसफॉर्मर (Transformer) ♦

वह युक्ति जो प्रत्यावर्ती धारा (A.C) के विभव (potential) को परिवर्तित करने में प्रयुक्त होता है, ट्रांसफॉर्मर कहलाता है।

सिद्धांत :— ट्रांसफॉर्मर अन्योन्य प्रेरण (Mutual induction) के सिद्धांत पर कार्य करता है। यह उच्च विभववाली कम प्रत्यावर्ती धारा को निम्न विभववाली उच्च धारा में या निम्न विभव वाले उच्च प्रत्यावर्ती धारा को उच्च विभव वाले निम्न धारा में परिवर्तित करने का कार्य करता है।

ट्रांसफार्मर (Transformer) दो प्रकार के होते हैं।

(i) उच्चायी ट्रांसफॉर्मर (Step – up Transformer)
(ii) अपचायी ट्रांसफॉर्मर (Step – down Transformer)

(i) उच्चायी ट्रांसफॉर्मर (Step – up Transformer) — इस ट्रांसफार्मर द्वारा Low Voltage A.C को High Voltage वाले निम्न प्रत्यावर्ती धारा में परिवर्तित करता है।

(ii) अपचायी ट्रांसफॉर्मर (Step – down Transformer)— इस ट्रांसफार्मर द्वारा High Voltage A.C को Low Voltage वाले प्रबल प्रत्यावर्ती धारा में परिवर्तित करता है।

बनावट :-

दिखाए गए चित्र के अनुसार ट्रान्सफॉर्मर में दो अलग कुण्डली परतदार लोहे के क्रोड पर लिपटी होती है। एक कुण्डली प्राथमिक कुण्डली (P) तथा दूसरी कुण्डली द्वितीयक कुण्डली (S) कहलाती है। प्राथमिक कुण्डली (P) में प्रत्यावर्ती धारा निर्विष्ट (input) की जाती है और द्वितीयक कुण्डली (S) से परिवर्तित धारा बहिर्गत (output) होती है। परतदार लोहे का क्रोड वार्निश की हुई समान लोहे की पत्तियों को एक साथ मिलाकर बनाया जाता है। इस प्रकार के क्रोड भँवर धाराओं के उत्पादन के कारण ऊर्जा या शक्ति ह्रास को कम करता है।

कार्य – विधि :- माना प्राथमिक कुंडली में आरोपित विद्युत वाहक बल Ep तथा प्रत्यावर्ती धारा ip हो तो प्राथमिक कुंडली में दी गई शक्ति
    P = V × i
       = Ep × ip
माना द्वितीय कुंडली में उत्पन्न विद्युत वाहक बल Es तथा प्रत्यावर्ती धारा is तो द्वितीय कुंडली की शक्ति
     P = V × i
        = Es × is
यदि उर्जा की हानि नहीं होती है तो
   Ep × ip = Es × is
    Es / Ep = ip / is …………(i)

माना प्राथमिक कुंडली में फेरों की संख्या Np तथा दूसरी कुंडली में फेरों की संख्या Ns हो तो फैराडे के द्वितीय नियम से
    Ep = – Np .(dΦ/dt)
    Es = – Ns .(dΦ/dt)
    Es / Ep = Ns / Np …………….(ii)
अब समीकरण (i) तथा (ii) से,


 

 

 

Special Cases :-
(i) यदि Ns > Np
   तो Es > Ep
      ip > is
अर्थात द्वितीय कुंडली में फेरों की संख्या प्राथमिक कुंडली में फेरों की संख्या से अधिक हो तो विभावांतर का मान बढ़ता है तथा धारा का मान घटता है तो ऐसे ट्रांसफार्मर को Step – up Transformer ट्रांसफार्मर कहा जाता है।

(ii) यदि Np > Ns
       तो Ep > Es
           is > ip
अर्थात प्राथमिक कुंडली में फेरों की संख्या द्वितीय कुंडली में फेरों की संख्या से अधिक हो तो विभावांतर का मान घटता है तथा धारा का मान बढ़ता है तो ऐसे ट्रांसफार्मर को Step – down Transformer ट्रांसफार्मर कहा जाता है।

Transformer की दक्षता :-

ट्रान्सफॉर्मर की दक्षता बहिर्गत (Out put) तथा र्निविष्ट ( in put) शक्तियों का अनुपात होती है, जिसे η द्वारा निरूपित किया जाता है।
अर्थात्
η = बहिर्गत शक्ति / निविष्ट शक्ति
    = Es.is / Ep. ip
• अच्छे ट्रान्सफॉर्मरों की दक्षता 99% है।

Transformer के उपयोग :-
(i) ऊर्जा वितरण में
(ii) रेडियो संचरण में

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प्रश्न :- ट्रांसफॉर्मर का क्रोड परतदार क्यों होता है ?

उत्तर ⇒ ट्रॉसफॉर्मर का क्रोड परतदार इसलिए बनाया जाता है कि भँवर धाराओं के प्रेरण को रोका जा सके। भँवर धाराओं के प्रेरण से ऊर्जा का loss होता है उसे ion loss कहते हैं। किसी धातु के टुकड़े को यदि बदलते हुए चुंबकीय क्षेत्र में रखा जाए या टुकड़े को किसी चुंबकीय क्षेत्र में घुमाया जाता है तो उसमें प्रेरित धाराएँ उत्पन्न होती हैं। ये धाराएँ चक्करदार होती हैं। अतः इन्हें भँवर धारा कहा जाता है। इसका पता फोको ने लगाया था। यह लेंज का नियम का पालन करता है।

प्रश्न :- एक ट्रांसफार्मर में ऊर्जा क्षय को नामांकित करें।

उत्तर ⇒ ट्रांसफॉर्मर में निम्नलिखित पाँच कारणों से ऊर्जा का क्षय होता है तथा उन्हें निम्नलिखित प्रकार से दूर किया जाता है—

(i) फ्लक्स क्षय :- प्राथमिक तथा द्वितीयक कुण्डलियों का युग्मन ठीक नहीं होता है और प्राथमिक कुण्डली में उत्पन्न चुम्बकीय फ्लक्स सभी द्वितीयक कुण्डली से संबद्ध नहीं होते हैं तथा कुछ क्रोड से न जाकर वायु होकर जाती है।

(ii) ताम्र क्षय :- प्राथमिक तथा द्वितीयक कुण्डलियों में ताँबे के तार के लपेटों प्रतिरोध के कारण जूल-ऊष्मन प्रभाव से कुछ विद्युतीय ऊर्जा का ताप ऊर्जा में परिवर्तन होता है जिससे कि शक्ति क्षय होती है।

(iii) लौह-क्षय :- ट्रांसफॉर्मर के लोहे के क्रोड में भँवर धाराओं के प्रेरण से भी ऊष्मा के रूप में शक्ति क्षय होती है, जिसे लौह-क्षय कहते हैं। लोहे के क्रोड को परतदार बना देने पर लौह-क्षय घटता है।

(iv) शैथिल्य क्षय :- कुण्डलियों से प्रत्यावर्ती धाराओं के प्रवाहित होने से लोहे के क्रोड बार- बार चुम्बकित तथा अचुम्बकित होते हैं। इसलिए प्रत्येक चुम्बकन चक्र में कुछ ऊर्जा शैथिल्य के कारण क्षय होती है, जिसे शैथिल्य क्षय कहते हैं। इसे कम करने के लिए सिलिकन लोहे का क्रोड उपयुक्त होता है।

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प्रश्न :- ट्रांसफॉर्मर के लिए निम्नलिखित में कौन सही है ?

(A) यह A.C. को D.C. में बदलता है।

(B) यह D.C. को A. C. में बदलता है।

(C) यह D.C. वोल्टता को बढ़ाता या घटाता है।

(D) यह A. C. वोल्टता को बढ़ाता या घटाता है।

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(D) यह A. C. वोल्टता को बढ़ाता या घटाता है।


प्रश्न :- अपचायी ट्रांसफॉर्मर में कौन-सी राशि घटती है ?

(A) धारा

(B) वोल्टेज

(C) शक्ति

(D) आवृत्ति

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(B) वोल्टेज


प्रश्न :- किसी उच्चायी (step-up) ट्रांसफॉर्मर के प्राइमरी और सेकेंडरी में क्रमशः N1 और N2 लपेटे हैं, तब

(A) N1 > N2

(B) N2 > N1

(C) N1 = N2

(D) N1 = 0

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(B) N2 > N1


प्रश्न :- डायनेमो के कार्य का सिद्धांत आधारित है।

(A) धारा के ऊष्मीय प्रभाव पर

(B) विद्युत-चुंबकीय प्रेरण पर

(C) प्रेरित चुम्बकत्व पर

(D) प्रेरित विद्युत पर

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(B) विद्युत-चुंबकीय प्रेरण पर


प्रश्न :- निम्नलिखित में कौन उच्चायी ट्रांसफॉर्मर के लिए सही है ?

(A) Vs < Vp

(B) Vs > Vp

(C) Vs = Vp

(D) Vs << Vp

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(B) Vs > Vp


प्रश्न :- एक उच्चायी ट्रान्सफार्मर की द्वितीयक कुण्डली में धारा का मान प्राथमिक कुण्डली की तुलना में होता है।

(A) बराबर

(B) कम

(C) अधिक

(D) इनमें से कोई नहीं

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(B) कम


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