What is a magnet and write its properties
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♦ चुम्बक एवं चुम्बकत्व ( Magnet And Magnetism ) ♦
चुम्बक (Magnet) :— वह पदार्थ जो लोहा, निकेल आदि को अपनी ओर आकर्षित करता है तथा स्वतंत्र अवस्था में सदा एक निश्चित दिशा (उत्तर-दक्षिण) में स्थिर रहता है, चुम्बक कहलाता है।
चुम्बकत्व (Magnetism) :— चुम्बक द्वारा लोहे के टुकड़ों को अपनी ओर आकर्षित करने के गुण को चुम्बकत्व कहते है।
चुंबक का इतिहास :— प्राचीन काल में थेल्स ऑफ मिलेटस (Thales of Miletus) अच्छी तरह जानते थे कि प्रकृति में पाये जाने वाले लौह-अयस्क ‘मैग्नेटाइट’ (magnetite) में लोहे के छोटे-छोटे टुकड़ों को अपनी ओर आकर्षित करने का गुण होता है, तथा जब लोहे का कोई टुकड़ा इस अयस्क के संपर्क में आता है, तो उसमें भी यही गुण उत्पन्न हो जाता है। आकर्षित करने वाले मैग्नेटाइट के टुकड़ों को मैग्नेट (magnet) तथा उनके इस गुण को मैग्नेटिज्म (magnetism) कहा गया। संस्कृत में आकर्षित करने के आधार पर इन्हें चुम्बक कहा गया और इनके गुण को चुम्बकत्व कहा गया। ‘मैग्नेटिज्म’ शब्द की व्युत्पत्ति एशिया माइनर के स्थान मैग्नेशिया (Magnesia) से हुई जहाँ पर यह अयस्क बहुतायत में पाया जाता था। बाद में चीन के निवासियों ने पता लगाया कि जब मैग्नेटाइट को स्वतन्त्रतापूर्वक लटकाया जाता है, तब वह सदैव उत्तर-दक्षिण दिशा में ठहरता है। इस आधार पर इसे ‘लोड-स्टोन’ (lode-stone) अथवा लीडिंग स्टोन (leading stone) भी कहा गया। इसके दिशात्मक गुण के कारण ही यात्री इसका उपयोग दिशा ज्ञात करने के लिए किया करते थे।
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चुम्बक के गुण (Properties of Magnet) :—
(i) चुम्बक चुम्बकीय पदार्थों, जैसे—लोहा, निकिल, कोबाल्ट, को अपनी ओर आकर्षित करता है।
(ii) चुम्बक को स्वतंत्रतापूर्वक लटकाने पर सदैव उत्तर-दक्षिण दिशा में ठहरता है।
(iii) चुम्बक के दो ध्रुव उतरी ध्रुव (N) तथा दक्षिण ध्रुव (S) होते है।
(iv) दो चुम्बकों के समान ध्रुवों (N-N) में प्रतिकर्षण तथा विपरीत ध्रुवों (N-S) में आकर्षण होता है।
(v) चुम्बक की आकर्षण शक्ति उसके सिरों (उत्तर-दक्षिण) पर सर्वाधिक तथा मध्य में सबसे कम होती है।
(vi) चुम्बक का प्रत्येक अणु स्वतंत्र चुम्बक होता है।
(vii) चुम्बक के ठीक मध्य में चुम्बकत्व नहीं होता है।
(viii) चुम्बक के अकेले उत्तरी ध्रुव अथवा अकेले दक्षिणी ध्रुव का कोई अस्तित्व नहीं होता, अर्थात् चुम्बक के दोनों ध्रुवों को अलग करना असंभव है।
(ix) चुम्बक चुम्बकीय पदार्थों में प्रेरण द्वारा चुम्बकत्व उत्पन्न करता है।
(x) चुम्बक को गर्म करने पर, बार-बार ऊपर से गिराने पर, हथौड़े आदि से पीटने पर, घिसने पर उसका चुम्बकत्व नष्ट होता है।
चुंबक के प्रकार :—
चुम्बक दो प्रकार के होते है-
(i) प्राकृतिक चुम्बक
(ii) कृत्रिम चुम्बक
(i) प्राकृतिक चुम्बक (Natural Magnet) :– प्रकृति से प्राप्त चुम्बक को प्राकृतिक चुम्बक कहते हैं। ये कम शक्तिशाली होते हैं तथा इनकी आकृति भी अनिश्चित होती है।
• रासायनिक रूप से यह लोहे का ऑक्साइड (Fe3O4) होता है।
• इसकी कोई निश्चित आकृत्ति नहीं होती है।
(ii) कृत्रिम चुम्बक (Artificial Magnet) :– मानव द्वारा निर्मित चुम्बक को कृत्रिम चुम्बक कहते हैं। इन्हें पर्याप्त शक्तिशाली तथा इच्छित आकार का बनाया जा सकता है।
• छड़ चुम्बक, घोड़ा नाल चुम्बक, चुम्बकीय सूई आदि कृत्रिम चुम्बक है।
विभिन्न प्रकार के कृत्रिम चुंबक
कृत्रिम चुम्बक भी दो प्रकार के होते हैं :—
(i) स्थायी चुम्बक
(ii) अस्थायी चुम्बक
(i) स्थायी चुम्बक (Permanent Magnet) :— वैसा चुम्बक जिनका चुम्बकत्व शीघ्र नष्ट नहीं होता, स्थायी चुम्बक कहलाता है।
• स्थायी चुम्बक इस्पात के ही बनाये जाते है।
• लाउडस्पीकर, दिक्सूचक, गैल्वेनोमीटर आदि में स्थायी चुम्बक का प्रयोग होता है।
(ii) अस्थायी चुम्बक (Temporary Magnet) :— वैसा चुम्बक जिसका चुंबकत्व स्थायी नहीं होता, बल्कि शीघ्र नष्ट हो जाता है तथा जिसे इच्छा अनुसार कभी भी चुंबकित या विचुम्बकित किया जा सकता है, अस्थायी चुम्बक कहलाता है।
• अस्थायी चुम्बक नर्म लोहे (मृदु लोहा) का ही बनाया जाता है।
• विद्युत घंटी, ट्रॉसफॉर्मर क्रोड, डायनेमों आदि अस्थायी चुम्बक के उदाहरण है।
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चुंबक से संबंधित कुछ परिभाषाएं :—
1. चुम्बकीय ध्रुव ( Magnetic Pole) :— चुम्बक के दोनों सिरों पर दो ऐसे बिन्दु होते हैं जिन पर चुम्बक की आकर्षण शक्ति अधिकतम होती है। इन्हें चुम्बकीय ध्रुव कहते हैं।
प्रत्येक चुम्बक के दो ध्रुव होते हैं-
(i) उत्तरी ध्रुव (North Pole)
(ii) दक्षिणी ध्रुव (South Pole)
(i) उत्तरी ध्रुव (North Pole) :— छड-चुम्बक को स्वतंत्रतापूर्वक लटकाने पर उसका जो ध्रुव उत्तर की ओर रहता है, उसे उत्तरी ध्रुव कहते हैं।
(ii) दक्षिणी ध्रुव (South Pole) :— छड-चुम्बक को स्वतंत्रतापूर्वक लटकाने पर उसका जो ध्रुव दक्षिण की ओर रहता है, उसे दक्षिणी ध्रुव कहते हैं।
• किसी भी चुम्बक के दोनों ध्रुवों को पृथक् करना असम्भव है अर्थात् अकेले उत्तरी ध्रुव अथवा अकेले दक्षिणी ध्रुव का अस्तित्व संभव नहीं है।
2. चुम्बकीय अक्ष (Magnetic Axis) :— दोनों ध्रुवों को मिलाने वाली सरल रेखा को चुम्बक की चुम्बकीय अक्ष (magnetic axis) कहते हैं।
3. ध्रुव प्रबलता ( Pole Strength) :— चुंबक के ध्रुव तथा चुंबकीय पदार्थ को आकर्षित करने की क्षमता ध्रुव प्रबलता कहलाता है।
• इसका मान पदार्थ की प्रकृति तथा चुंबक के अनुप्रस्थ क्षेत्रफल पर निर्भर करता है।
• चुंबक के दोनों ध्रुवों की ध्रुव प्रबलता समान होती है ।
• यह एक अदिश राशि है।
4. चुम्बकीय प्रेरण (Magnetic Induction ) :– चुम्बक के सानिध्य में बिना स्पर्श किये चुम्बकीय पदार्थ में चुम्बकत्व उत्पन्न होने की घटना को चुम्बकीय प्रेरण कहते हैं।
5. चुम्बकीय याम्योत्तर (Magnetic Meridian) :— स्वतंत्रतापूर्वक लटके छड़-चुम्बक की चुम्बकीय अक्ष से होकर गुजरने वाले ऊर्ध्वाधर समतल को चुम्बकीय याम्योत्तर कहते हैं।
6. उदासीन रेखा (Neutral Line) :— छड़ चुम्बक के केन्द्र से उसकी लम्बाई के लम्बवत् काल्पनिक रेखा को उदासीन रेखा अथवा चुम्बकीय निरक्ष ( Neutral axis) कहते हैं।
7. चुम्बक की प्रभावी लम्बाई (Effective Length of a Magnet):—चुम्बक के दोनों ध्रुवों के बीच की दूरी को चुम्बक की प्रभावी लम्बाई कहते हैं।
चुम्बक की प्रभावी लम्बाई उसकी ज्यामितीय लम्बाई से कुछ कम (चुम्बक की ज्यामितीय लम्बाई की 5/6 गुनी) होती है।
8. चुम्बकीय आघूर्ण (Magnetic Moment) :– चुम्बक की ध्रुव प्रबलता तथा उसकी प्रभावी लम्बाई के गुणनफल चुम्बक का चुम्बकीय आघूर्ण कहते हैं।
यदि किसी छड़ चुम्बक की ध्रुव प्रबलता m तथा उसकी प्रभावी लम्बाई (2l) हो, तो उसका चुम्बकीय आघूर्ण
M = m ×2l
• इसका S.I. मात्रक ऐम्पियर – मीटर² होता है।
• यह एक सदिश राशि है तथा इसकी दिशा दक्षिणी ध्रुव से उत्तरी ध्रुव की ओर होती है।
9. विचुंबकत्व (Demagnetisation) :— वह विधि जिसके द्वारा किसी चुंबक के चुंबकीय गुण को कम या नष्ट किया जा सकता है वह विचुंबकत्व कहलाता है।
चुम्बक का चुम्बकत्व नष्ट होने का कारण
(i) चुम्बक को हथौड़े से पीटने पर
(ii) चुम्बक को गर्म करने पर
(iii) चुम्बक को अधिक समय तक खुला छोड़ कर रखने पर
(iv) यदि चुम्बक को चुम्बकीय याम्योत्तर के समांतर इस प्रकार रखा जाए कि उसका उत्तरी ध्रुव दक्षिण दिशा में और दक्षिणी ध्रुव उत्तर दिशा में रहे तो कुछ दिनों में चुम्बक का चुम्बकत्व नष्ट हो जाता है।
10. चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ / चुम्बकीय बल रेखाएं (Magnetic Field Lines ) :— चुम्बकीय क्षेत्र में खींचा गया वह काल्पनिक वक्र है जिसके किसी बिंदु पर खींची गई स्पर्श रेखा चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा को व्यक्त करता है।
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चुम्बकीय बल रेखाओं के गुण :—
(i) ये बल रेखाएँ चुम्बक के बाहर उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव तक तथा चुम्बक के अन्दर दक्षिणी ध्रुव से उत्तरी ध्रुव तक जाती हैं अर्थात् बंद वक्र बनाती हैं।
(ii) चुम्बकीय बल रेखा के किसी भी बिन्दु पर खींची गई स्पर्श रेखा उस बिन्दु पर परिणामी क्षेत्र (बल) की दिशा प्रदर्शित करती है।
(iii) चुम्बकीय बल रेखाएँ एक-दूसरे को कभी नहीं काटती हैं। क्योंकि यदि दो बल रेखाएं एक-दूसरे को काटती हैं, तो कटान-बिन्दु पर परिणामी क्षेत्र की दो दिशाएँ होंगी जो असम्भव है।
(iv) चुम्बकीय बल रेखाएँ जहाँ पास-पास होती हैं वहाँ चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता अधिक, तथा जहाँ दूर-दूर होती हैं, वहाँ चुम्बक क्षेत्र की तीव्रता कम होती है।
(v) एक समान चुंबकीय क्षेत्र में चुंबकीय बल रेखाएं परस्पर समानांतर तथा एक दूसरे से समान दूरी पर होते हैं।
11. चुम्बकीय क्षेत्र (Magnetic Field) :— किसी चुम्बक का चारो ओर का वह क्षेत्र जिसमे स्थित कोई चुम्बकीय ध्रुव चुम्बकीय बल का अनुभव है करता है, चुम्बकीय क्षेत्र कहलाता है।
12. चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता (Magnetic Field Intensity) :—चुम्बकीय क्षेत्र मे किसी बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता उस बिन्दु पर स्थित काल्पनिक एकांक उत्तरी ध्रुव, द्वारा लगने वाले बल के बराबर होती है।
यदि क्षेत्र के किसी बिन्दु पर mo प्रर्बलता वाले परिक्षण ध्रुव पर आरोपित बल mo हो तो उस बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता
B = F/m0
• यह एक सदिश राशि है। इसे चुम्बकीय प्रेरण या चुम्बकीय फ्लक्स धनत्व कहते है।
• इसका S.I. मात्रक टेस्ला (Tesla) या वेबर/मीटर (Weber/m) होता है।
13. चुम्बकीय विभव ( Magnetic Potential) :— एकांक उत्तरी ध्रुव को अनंत से चुम्बकीय क्षेत्र में लाने किया गया कार्य चुम्बकीय विभव कहलाता है।
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