बायो- सेवार्ट नियम क्या है | Define Biot-Savart Law
Class 12th Physics

बायो- सेवार्ट नियम क्या है | Define Biot-Savart Law

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Define Biot-Savart Law

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♦ विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव (Magnetic Effects of Electric Current) ♦

“विधुत धारा के प्रवाह के कारण चुम्बकीय क्षेत्र के उत्पन्न होने की घटना को धारा का चुम्बकीय प्रभाव कहा जाता है।” • धारा के चुम्बकीय प्रभाव की खोज प्रसिद्ध वैज्ञानिक ऑस्ट्रेड (Oersted) ने की थी, जिससे विद्युत और चुम्बकत्व के बीच संबंध स्थापित हुआ।

ओस्टेड का प्रयोग (Oersted’s Experiment)

सन् 1820 में डेनमार्क के प्रसिद्ध भौतिकशास्त्री हंस क्रिश्चियन ओस्टेड (1777-1851) ने सर्वप्रथम प्रयोग द्वारा यह दिखलाया कि धारावाही चालक के आस-पास चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है। इस क्षेत्र की उपस्थिति का पता एक छोटी चुम्बकीय सुई के क्षेत्र की दिशा में विक्षेप द्वारा लगता है। ओस्टेड ने चुम्बकीय सुई के विक्षेप द्वारा धारावाही चालक के पास चुम्बकीय क्षेत्र की उपस्थिति को निम्नलिखित प्रयोग द्वारा दिखलाया-

चित्र में AB एक सीधा चालक तार है जिसका परिपथ बैटरी व कुंजी लगाकर पूरा किया जाता है। तार को उत्तर-दक्षिण दिशा में इस प्रकार रखा जाता है कि वह एक चुम्बकीय सुई के समान्तर स्थिर हो। जब तार का परिपथ पूर्ण नहीं होता अर्थात् तार में धारा का प्रवाह नहीं हो रहा होता है, तब चुम्बकीय सुई अविक्षिप्त अवस्था में रहती है । [चित्र (a)]

परन्तु कुंजी दवाकर परिपथ में जैसे ही धारा प्रवाहित की जाती है, सुई अपनी स्थिति से एक ओर विक्षेपित हो जाती है। यदि तार में धारा की दिशा को बदल दिया जाये तब सुई के विक्षेप की दिशा भी बदल जाती है। [चित्र (b) व (c)]
तार में धारा की प्रबलता बढ़ाने पर अथवा चुम्बकीय सुई को तार के और समीप लाने पर सुई का विक्षेप बढ़ जाता है।

चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा : ऐम्पियर का नियम ( Direction of Magnetic Field: Ampere’s Law)

चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा ऐम्पियर के तैरने के नियम से ज्ञात की जा सकती है।

एक व्यक्ति को धारा की दिशा में इस प्रकार तैरते हुए कल्पना कीजिए कि उसका चेहरा चुम्बकीय सुई की ओर हो तथा धारा उसके पैर की दिशा से प्रवेश करके सिर से निकल रही हो अर्थात् व्यक्ति तार के समान्तर तैर रहा हो। ऐसी स्थिति में चुम्बकीय सुई का उत्तरी ध्रुव व्यक्ति के बायें हाथ की ओर विक्षेपित हो जायेगा।

Define Biot-Savart Law

बायो- सेवार्ट नियम ( Biot-Savart Law)

बायो- सेवार्ट ने किसी धारावाही चालक (current-carrying conductor) के कारण उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र के लिए एक गणितीय व्यंजक (mathematical expression) दिया जिसे बायो- सेवार्ट नियम कहा जाता है।

माना, एक चालक में i ऐम्पियर की धारा प्रवाहित हो रही है। इस धारावाही चालक के एक स्वल्पांश (small element) ∆l के कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र के किसी बिन्दु P पर क्षेत्र की तीव्रता का मान ∆B निम्न कारकों पर निर्भर करता है –

(i) यह चालक में प्रवाहित विद्युत धारा के अनुक्रमानुपाती होता है।

            ∆B ∝ i

(ii) यह चालक के उस स्वल्पांश की लम्बाई ∆l के अनुक्रमानुपाती होता है।

            ∆B ∝ ∆l

(iii) यह अल्पांश की लंबाई (धारा की दिशा) तथा अल्पांश को बिंदु P से मिलानेवाली रेखा के बीच बने कोण θ की ज्या (sine) के समानुपाती होता है।

            ∆B ∝ sinθ

(iv) यह अल्पांश से बिंदु P के बीच की दूरी के वर्ग का व्युत्क्रमानुपाती होता है।

             ∆B ∝ 1/(r²)
इस प्रकार,

इस सम्बन्ध को ‘बायो-सेवार्ट का नियम’ कहते हैं। इसे लाप्लास का नियम (Laplace’s Law) भी कहा जाता है।

जहाँ K एक अनुक्रमानुपाती नियतांक है। इसका मान माध्यम एवं मात्रक पद्धति पर निर्भर करता है।
S.I पद्धति में वायु अथवा निर्वात् के लिए k = μ0/4π

μ0को निर्वात की चुमबकशीलता अथवा पारगम्यता (permeability) कहते हैं।

      ( μ0/4π = 10-7 न्यूटन/ऐम्पियर² )


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