Potentiometer & Applications of Potentiometer
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♦ विभवमापी (Potentiometer) ♦
विभव मापी एक ऐसा यंत्र है जिससे किसी सेल का विद्युत वाहक बल/दो बिंदुओं के बीच का शुद्धतम विभावांतर मापा जाता है। विभवमापी एक ऐसे वोल्टमीटर की तरह व्यवहार करता है जिसका अपना प्रतिरोध अनंत होता है। अतः विभवमापी को अनंत प्रतिरोध वाला वोल्टमीटर भी कहा जाता है।
संरचना (Construction) :-
विभवमापी में लकड़ी का एक बोर्ड होता है जिस पर एक लंबे समरूप मैंगनिन /काॅन्सटेंटन का तार लगा होता है। प्रायोगिक रूप से यह लंबा तार 1 मीटर लंबाई के चार बराबर भागों का बना होता है इस तार के ये भाग एक दूसरे से कॉपर पत्तियां द्वारा जुड़े होते हैं जिनका प्रतिरोध नगन्य होता है।
चालक तार से अचर विद्युत धारा प्रवाहित होती है। एक सर्पी कुंजी (जॉकी) J की सहायता से गैल्वेनोमीटर को जोड़ दिया जाता है। तथा लकड़ी के बोर्ड पर तार की लंबाई के समानांतर एक मीटर स्केल लगा होता है।
सिद्धांत (Principle) :- विभवमापी इस सिद्धांत पर कार्य करता है कि यदि किसी तार में कोई नियत (अचर) वैद्युत धारा प्रवाहित होती है तो किसी समरूप तार के किसी भाग के सिरों का विभवांतर उस भाग के लंबाई का समानुपाती होता है।
V ∝ L
कार्यविधि (Working) :-
माना कि R प्रतिरोध, A अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल के तार की Lलंबाई के दोनों सिरों का विभवांतर V है। यदि तार में प्रवाहित होने वाली वैद्युत धारा i हो तो ओम के नियमानुसार,
V = IR
R = ρ.L/A
जहाँ ρ तार का विशिष्ट प्रतिरोध कहलाता है।
V = (ρ.L/A ).i = (iρ)/A).L = kL
जहाँ k = (iρ)/A) एक समानुपातिक नियतांक है।
अर्थात्
V ∝ L ( यदि A, ρ एवं i अचर हो )
Potentiometer & Applications of Potentiometer
विभवमापी के अनुप्रयोग (Applications of Potentiometer) :-
(i) विभवमापी द्वारा दो सेलों के विद्युत वाहक बलों की तुलना
(ii) किसी विभवमापी के उपयोग से सेल का आंतरिक प्रतिरोध का निर्धारण
(i) विभवमापी द्वारा दो सेलों के विद्युत वाहक बलों की तुलना :-
किसी विभव मापी द्वारा दो सेलों के विद्युत वाहक बलों की तुलना करने के लिए चित्र में एक विभवमापी परिपथ को दिखाया गया है। इस परिपथ में दो सेलों के अतिरिक्त एक बैटरी लगा होता है जिसका विद्युत वाहक बल E दोनों सेलों के विद्युत वाहक बलों E1 तथा E2 की तुलना में अधिक होता है।
कार्यविधि :- स्विच S1 को बंद किया जाता है ताकि पहला सेल E1 परिपथ में क्रियाशील हो जाए। सर्पी कुंजी (जॉकी) को तार के विभिन्न बिंदुओं पर गति कराकर एक बिंदु ऐसा प्राप्त होता है जिसके लिए धारामापी का विच्छेद शून्य होता है। ऐसी स्थिति में बिंदु A तथा B के बीच विभावांतर सेल E1 के विद्युत वाहक बल के बराबर होता है।
E1 = VAB = IR ( चुकि R = ρ.L/A )
= I. (ρ.L1/A)………..(i)
अब, स्विच S1 को खोल दिया जाता है तथा स्विच S2 को बंद कर दिया जाता है ताकि दूसरा सेल E2 परिपथ में क्रियाशील हो जाए। पुनः सर्पी कुंजी (जॉकी) को तार के विभिन्न बिंदुओं पर गति कराकर एक बिंदु ऐसा प्राप्त होता है जिसके लिए धारामापी का विच्छेद शून्य होता है। ऐसी स्थिति में बिंदु A तथा C के बीच विभावांतर सेल E2 के विद्युत वाहक बल के बराबर होता है।
E2 = VAC = IR ( चुकि R = ρ.L/A )
= I. (ρ.L2/A)………..(ii)
अब, समीकरण (i) / (ii)
E1 / E2 = L1/L2 |
इस प्रकार L1 तथा L2 का मान ज्ञात रहने पर E1 / E2 अर्थात दोनों सेलों के विद्युत वाहक बलों का अनुपात ज्ञात किया जा सकता है।
प्रश्न :- विभवमापी वोल्टमीटर से ज्यादा शुद्ध होता है क्यों ?
उत्तर ⇒ विभवमापी द्वारा यदि सेल का विभावांतर मापा जाता है तो विभवमापी से होकर कोई धारा प्रवाहित नहीं होती है क्योंकि विभवमापी अनंत प्रतिरोध के वोल्टमीटर की तरह कार्य करता है यही कारण है कि इसकी शुद्धता उच्च कोटि की होती है जबकि वोल्टमीटर से यदि सेल का विद्युत वाहक बल मापा जाता है तो वोल्टमीटर से होकर सेल की कुछ धारा प्रवाहित हो जाती है जिस कारण मापा गया विद्युत वाहक बल मूल विद्युत वाहक बल से कम होता है।
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