Electric Cell & Electro Motive Force || Terminal Potential || difference between electromotive force and terminal potential ||
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♦ विद्युत सेल (Electric Cell) ♦
सेल एक ऐसी होती है जिसके द्वारा रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है तथा किसी परिपथ में आवेश के प्रवाह को निरंतर बनाए रखती है।
विद्युत सेल मुख्यतः दो प्रकार के होते है –
1. प्राथमिक सेल (Primary Cell) :- प्राथमिक सेलों में रासायनिक ऊर्जा को सीधे विद्युत उर्जा में परिवर्तित किया जाता है। वोल्टीय सेल, लेक्लांशे सेल, डेनियल सेल आदि प्राथमिक सेल है।
2. द्वितीयक सेल (Secondary Cell) :- द्वितीयक सेलों में पहले विद्युत ऊर्जा को रासायनिक उर्जा में, फिर रासायनिक उर्जा को विद्युत उर्जा में परिवर्तित किया जाता है। इसकी धारिता को ‘ऐम्पियर-घंटा’ में व्यक्त किया जाता है।
सेल का सांकेतिक प्रदर्शन :-
सेल का विद्युत वाहक बल (Electro Motive Force) :-
एकांक आवेश को पूरे परिपथ में प्रवाहित करने में सेल द्वारा दी गई ऊर्जा को सेल का विद्युत वाहक बल कहते हैं।
• इसे emf से सूचित करते हैं।
• विद्युत वाहक बल सेल का लांक्षणिक गुण होता है जो सेल के आकार आकृति पर निर्भर नहीं करता है लेकिन सेल में प्रयुक्त इलेक्ट्रोड तथा विद्युत अपघटन की प्रकृति पर निर्भर करता है।
• सेल का विद्युत वाहक बल सेल के दो इलेक्ट्रॉन के बीच अधिकतम विभावांतर होता है यदि सेल से कोई विद्युत धारा प्रवाहित ना हो।
माना Q आवेश को पूरे परिपथ में प्रवाहित करने के लिए सेल द्वारा दी गई ऊर्जा W हो तो सेल का विद्युत वाहक बल
E = W/Q
• विद्युत वाहक बल का S.I मात्रक जूल / कूलाॅम्ब या वोल्ट होता है।
[ विद्युत वाहक बल = ML²T-3A-1 ]
1 वोल्ट (Volt) :- यदि किसी विद्युत परिपथ में 1 कूलाॅम्ब आवेश प्रवाहित करने में सेल द्वारा व्यय ऊर्जा 1 जूल हो तो सेल का विद्युत वाहक बल 1 वोल्ट कहलाता है।
[ Note :- सेल का विद्युत वाहक बल सेल के अंदर ऋण इलेक्ट्रोड से धन इलेक्ट्रोड की ओर दिष्ट होता है।]
टर्मिनल विभावांतर (Terminal Potential) :-
माना किसी विद्युत परिपथ से जुड़े सेल का विद्युत वाहक बल E है तथा परिपथ में Q आवेश प्रवाहित होने पर सेल द्वारा दी गई ऊर्जा W हो तो
E = W/Q
चूंकि परिपथ के सभी भाग श्रेणीक्रम में जुड़े हैं अतः उसमें प्रवाहित आवेश Q एक समान होता है यदि परिपथ के भिन्न-भिन्न भागों में व्यय होने वाली ऊर्जा W1,W2,W3…. हो तो इनका योग दी गई ऊर्जा W के बराबर होगा।
W = W1 + W2 + W3 + …….
E = W/Q
= W1 + W2 + W3 +……./Q
= W1/Q + W2/Q + W3/Q +……..
E = V1 + V2 + V3 + ……… |
अतः V1, V2, V3…….एकांक आवेश को प्रवाहित करने में परिपथ के विभिन्न भागों में व्यय होने वाली ऊर्जाएं हैं जिन्हें परिपथ के विभिन्न भागों के टर्मिनल विभावांतर हैं।
परिभाषा :- किसी परिपथ के दो बिंदुओं के बीच एकांक आवेश प्रवाहित करने में किए गए कार्य को उन बिंदुओं के बीच टर्मिनल विभावांतर कहते हैं।
Electric Cell & Electro Motive Force || Terminal Potential || difference between electromotive force and terminal potential ||
विद्युत वाहक बल तथा विभावांतर में अंतर
विद्युत वाहक बल | विभावांतर |
(i) सेल के खुले परिपथ में सेल के इलेक्ट्रोड के बीच विभावांतर को सेल का विद्युत वाहक बल कहते हैं। | (i) बंद परिपथ में किन्हीं दो बिंदुओं के बीच विभव के अंतर को विभावांतर कहते हैं। |
(ii) विद्युत परिपथ भंग होने पर भी इसका अस्तित्व बना रहता है। | (ii) विद्युत परिपथ भंग होने पर इसका अस्तित्व नहीं बना रहता है। |
(iii) इसका मान परिपथ के प्रतिरोध पर निर्भर नहीं करता है। | (iii) इसका मान दो बिंदुओं के बीच प्रतिरोध पर निर्भर करता है। |
(iv) इसके कारण किसी परिपथ में विद्युत धारा प्रवाहित होती है। | (iv) यह धारा प्रवाहित होने के फलस्वरुप उत्पन्न होता है। |
(v) इसका मान हमेशा विभावांतर से अधिक होता है। | (v) इसका मान हमेशा विद्युत वाहक बल से कम होता है। |
(vi) सेल को आवेशित या निरावेशित करते समय सेल का विद्युत वाहक बल परिवर्तित रहता है। | (vi) सेल का टर्मिनल विभावांतर सेल को आवेशित करते समय उसके विद्युत वाहक बल से अधिक तथा निरावेशित करते समय विद्युत वाहक बल से कम होता है। |
सेल का आंतरिक प्रतिरोध (Internal Resistance of Cell) :-
सेल के अंदर इलेक्ट्रॉड तथा विद्युत अपघट्य विलयन द्वारा विद्युत धारा के मार्ग में उत्पन्न प्रतिरोध को सेल का आंतरिक प्रतिरोध कहते है।
→ यदि E, V एवं i क्रमशः विद्युत वाहक बल, विभवान्तर व धारा को प्रदर्शित करे, तो
आंतरिक प्रतिरोध (r) = (E – V) ⁄ i |
सेल का आंतरिक प्रतिरोध निम्न कारकों पर निर्भर करता है :-
(i) यह सेल के दोनों इलेक्ट्रोड के बीच की दूरी का अनुक्रमानुपाती होता है।
(ii) यह विलियन में डूबे इलेक्ट्रोड के क्षेत्रफल का व्युत्क्रमानुपाती होता है।
(iii) यह विद्युत अपघट्य की सांद्रता पर निर्भर करता है।सांद्रता बढ़ाने पर सेल का आंतरिक प्रतिरोध बढ़ जाता है।
सेल के टर्मिनल विभावांतर विद्युत वाहक बल तथा आंतरिक प्रतिरोध में संबंध :-
चित्र में एक सेल का विद्युत वाहक बाल E तथा आंतरिक प्रतिरोध r है, R प्रतिरोध के चालक के सिरों से जोड़ा गया है परिपथ में i धारा प्रवाहित होती है।
In Close loop (i)
iR + ir = E
V + ir = E
अथवा
V = E – ir |
स्पष्ट है कि जब सेल धारा दे रहा होता है, तब उसका टर्मिनल विभवान्तर उसके वि. वा. बल से कम होता है।
• यदि i = 0 अर्थात् सेल में से धारा प्रवाह नहीं हो रहा हो,
V = E |
अतः किसी सेल का वि. वाहक बल सेल के टर्मिनल विभवान्तर के बराबर होता है जबकि सेल खुले चक्र में होता है (अर्थात् सेल में से धारा प्रवाहित नहीं हो रही होती है।)
• जब किसी सेल को धारा दी जा रही होती है (सेल को आवेशित करते समय) तब सेल का टर्मिनल तर उसके वि. वा. बल से अधिक होता है।
V = E – (- i) r
V = E + ir |
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प्रश्न :- विद्युत वाहक बल की इकाई है।
(A) न्यूटन
(B) जूल
(C) वोल्ट
(D) न्यूटन प्रति ऐम्पीयर
प्रश्न :- सेल का कि० वा बल निर्भर करता है।
(A) प्लेटों की बीच की दूरी
(B) सेल की ऊँचाई पर
(C) इलेक्ट्रोडो की प्रकृति पर
(D) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न :- विद्युत वाहक बल बराबर होता है।
(a) बल के
(b) उर्जा के
(c) उर्जा प्रति यूनिट आवेश के
(d) कार्य के